
Google Doodle महान लेखिका कमला दास को याद कर रहा है
Quick Reads
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
Google ने Doodle के जरिए कमला दास के काम को याद किया है
कमला दास अंग्रेजी और मलयालम भाषा में लिखती थीं
उनकी आत्मकथा 'माई स्टोरी' काफी विवादित और मशहूर हुई
पर्दे पर दिखेगी महान कवियित्री कमला दास की जिंदगी
1. कमला दास का जन्म 31 मार्च 1934 को त्रिचूर जिले के ब्राह्मण नायर परिवार में हुआ था. उनकी मां बालमणि अम्मा बहुत अच्छी कवयित्री थीं. यही वजह है कि कमला दास ने भी बचपन से ही कविताएं लिखना शुरू कर दिया था. उनके पिता कलकत्ता में ऊंचे पद पर थे. उनकी उम्र के दूसरे बच्चे पढ़ते-लिखते, खाते-पीते, मौज-मस्ती करते लेकिन घर में तमाम तरह की सुविधाओं के बावजूद उन्हें चारदीवारियों के अंदर रहना पड़ा.
2. 15 साल की बेहद कम उम्र में कमला दास की शादी कलकत्ता के माधव दास से हो गई थी. उनकी शादी ऐसे शख्स से हुई थी जो उनसे उम्र में 15 साल बड़ा था. उनके पति रिजर्व बैंक के बड़े अफसर थे. यही नहीं 16 साल की छोटी उम्र में वो मां भी बन चुकी थीं.
3. वैसे तो कमला दास बचपन से ही कविताएं लिखती थीं, लेकिन शादी के बाद उन्हें लिखने के लिए तब तक जागना पड़ता था जब तक कि पूरा परिवार न सो जाए. वो सुबह होने तक लिखती रहतीं.
4. मलयालम में वो माधवी कुट्टी के नाम से लिखती थीं, जबकि अंग्रेजी में उन्होंने कमला दास के नाम से लिखा. माधवी कुट्टी उनकी नानी का नाम था.
5. कमला दास ने 1984 में एक राजनैतिक पार्टी बना कर चुनाव भी लड़ा, लेकिन उनकी जमानत जब्त हो गई. इसके बाद वे राजनीति से हट गईं.
6. कमला दास ने 1999 में अचानक धर्मांतरण कर लिया और उनके नाम के आगे सुरैया जुड़ गया. उन्होंने पर्दा प्रथा का विरोध करते हुए आजादी की मांग की और इस वजह से कट्टर मुसलिमों से उनकी ठनी रही.
7. कमला दास उस समय विवादों में आईं जब उन्होंने अपने आत्मकथा 'माई स्टोरी' को प्रकाशित किया. यह किताब इतनी विवादास्पद हुई और इतनी पढ़ी गई कि उसका 15 विदेशी भाषाओं में अनुवाद किया गया. इस किताब की वजह से उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्री स्तर पर प्रसिद्धि मिली.
8. कमला दास ने अंग्रेजी में 'द सिरेंस', 'समर इन कलकत्ता', 'दि डिसेंडेंट्स', 'दि ओल्डी हाउस एंड अदर पोएम्स', 'अल्फाबेट्स ऑफ लस्ट', 'दि अन्नामलाई पोएम्सल' और 'पद्मावती द हारलॉट एंड अदर स्टोरीज' समेत 12 किताबें लिखीं. वहीं मलयालम में 'पक्षीयिदू मानम', 'नरिचीरुकल पारक्कुम्बोल', 'पलायन', 'नेपायसम', 'चंदना मरंगलम' और 'थानुप्पू' समेत 15 किताबें पब्लिश हुईं हैं.
9. कमला दास को साल 1984 में नोबेल पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया गया. इसके अलावा उन्हें अवॉर्ड ऑफ एशियन पेन एंथोलॉजी (1964), केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार (1969), साहित्य अकादमी पुरस्कार (1985), एशियन पोएट्री पुरस्कार(1998), केन्ट पुरस्कार (1999), एशियन वर्ल्डस पुरस्कार (2000), वयलॉर पुरस्कार (2001), मुट्टाथु वरके अवॉर्ड और एज्हुथाचन पुरस्कार (2009) जैसे ढेरों अवॉर्ड पुरस्कार भी मिले.
10. कमला नाथ का निधन 75 वर्ष की उम्र में 31 मई 2009 को हुआ था.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं