विज्ञापन
This Article is From Feb 01, 2018

Google ने Doodle के जर‍िए ज‍िस कमला दास को क‍िया याद जानिए उनके बारे में 10 बातें

कमला दास परिवार के सो जाने के बाद घर के किचन में बैठकर सारी रात लिखती रहती थीं और सुबह तक यही क्रम जारी रहता था

Google ने Doodle के जर‍िए ज‍िस कमला दास को क‍िया याद जानिए उनके बारे में 10 बातें
Google Doodle महान लेख‍िका कमला दास को याद कर रहा है
नई द‍िल्‍ली: सर्च इंजन Google ने अंग्रेजी और मलयालम की मशहूर लेख‍िका कमला दास को  अपने Doodle के जरिए याद किया है. उन्‍होंने बचपन से ही कविताएं लिखना शुरू कर दिया था. उनकी आत्‍मकथा 'माई स्‍टोरी' पर काफी विवाद भी हुआ था और उसे खूब पढ़ा भी गया. उनके बारे में कहा जाता है कि वो परिवार के सो जाने के बाद घर के किचन में बैठकर सारी रात लिखती रहती थीं और सुबह तक यही क्रम जारी रहता था. आज हम आपको उनको जीवन से जुड़े कुछ तथ्‍यों के बारे में बता रहे हैं:

पर्दे पर दिखेगी महान कवियित्री कमला दास की जिंदगी

1. कमला दास का जन्‍म 31 मार्च 1934 को त्रिचूर जिले के ब्राह्मण नायर परिवार में हुआ था. उनकी मां बालमण‍ि अम्‍मा बहुत अच्‍छी कवय‍ित्री थीं. यही वजह है कि कमला दास ने भी बचपन से ही कविताएं लिखना शुरू कर दिया था. उनके पिता कलकत्ता में ऊंचे पद पर थे. उनकी उम्र के दूसरे बच्‍चे पढ़ते-लिखते, खाते-पीते, मौज-मस्‍ती करते लेकिन घर में तमाम तरह की सुविधाओं के बावजूद उन्‍हें चारदीवारियों के अंदर रहना पड़ा.

2. 15 साल की बेहद कम उम्र में कमला दास की शादी कलकत्ता के माधव दास से हो गई थी. उनकी शादी ऐसे शख्‍स से हुई थी जो उनसे उम्र में 15 साल बड़ा था. उनके पति रिजर्व बैंक के बड़े अफसर थे. यही नहीं 16 साल की छोटी उम्र में वो मां भी बन चुकी थीं. 

3. वैसे तो कमला दास बचपन से ही कविताएं लिखती थीं, लेकिन शादी के बाद उन्‍हें लिखने के लिए तब तक जागना पड़ता था जब तक कि पूरा परिवार न सो जाए. वो सुबह होने तक लिखती रहतीं. 

4. मलयालम में वो माधवी कुट्टी के नाम से लिखती थीं, जबकि अंग्रेजी में उन्‍होंने कमला दास के नाम से लिखा. माधवी कुट्टी उनकी नानी का नाम था. 

5. कमला दास ने 1984 में एक राजनैतिक पार्टी बना कर चुनाव भी लड़ा, लेकिन उनकी जमानत जब्त हो गई. इसके बाद वे राजनीति से हट गईं.

6. कमला दास ने 1999 में अचानक धर्मांतरण कर ल‍िया और उनके नाम के आगे सुरैया जुड़ गया. उन्‍होंने पर्दा प्रथा का विरोध करते हुए आजादी की मांग की और इस वजह से कट्टर मुसलिमों से उनकी ठनी रही. 

7. कमला दास उस समय विवादों में आईं जब उन्होंने अपने आत्‍मकथा 'माई स्टोरी' को प्रकाशित किया. यह किताब इतनी विवादास्पद हुई और इतनी पढ़ी गई कि उसका 15 विदेशी भाषाओं में अनुवाद किया गया. इस किताब की वजह से उन्‍हें राष्‍ट्रीय और अंतरराष्‍ट्री स्‍तर पर प्रसिद्धि मिली. 

8. कमला दास ने अंग्रेजी में 'द सिरेंस', 'समर इन कलकत्ता', 'दि डिसेंडेंट्स', 'दि ओल्डी हाउस एंड अदर पोएम्स', 'अल्फाबेट्स ऑफ लस्ट', 'दि अन्नामलाई पोएम्सल' और 'पद्मावती द हारलॉट एंड अदर स्टोरीज' समेत 12 किताबें लिखीं.  वहीं मलयालम में 'पक्षीयिदू मानम', 'नरिचीरुकल पारक्कुम्बोल', 'पलायन', 'नेपायसम', 'चंदना मरंगलम' और 'थानुप्पू' समेत 15 किताबें पब्‍लिश हुईं हैं.

9. कमला दास को साल 1984 में नोबेल पुरस्‍कार के लिए नॉमिनेट किया गया. इसके अलावा उन्‍हें अवॉर्ड ऑफ एशियन पेन एंथोलॉजी (1964), केरल साहित्‍य अकादमी पुरस्‍कार (1969), साहित्य अकादमी पुरस्कार (1985), एशियन पोएट्री पुरस्कार(1998), केन्ट पुरस्कार (1999), एशियन वर्ल्डस पुरस्कार (2000), वयलॉर पुरस्कार (2001), मुट्टाथु वरके अवॉर्ड और एज्हुथाचन पुरस्कार (2009) जैसे ढेरों अवॉर्ड पुरस्‍कार भी मिले.

10. कमला नाथ का न‍िधन 75 वर्ष की उम्र में 31 मई 2009 को हुआ था.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
TET Exam 2024: महाराष्ट्र में प्राथमिक शिक्षकों के लिए TET परीक्षा अनिवार्य, यह नियम अनुकंपा पर नियुक्त टीचरों पर लागू होगी
Google ने Doodle के जर‍िए ज‍िस कमला दास को क‍िया याद जानिए उनके बारे में 10 बातें
IP University Admission 2024: आईपी यूनिवर्सिटी में फॉर्मेसी के नए पाठ्यक्रम को मंजूरी,  डी फॉर्मा के 60 और बी फॉर्मा की 100 सीटें
Next Article
IP University Admission 2024: आईपी यूनिवर्सिटी में फॉर्मेसी के नए पाठ्यक्रम को मंजूरी,  डी फॉर्मा के 60 और बी फॉर्मा की 100 सीटें
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com