कानपुर:
आईआईटी कानपुर के सेंटर फॉर साइबर सिक्योरिटी फॉर क्रिटिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर और न्यूयार्क यूनिवर्सिटी के वाईयू टेंडन स्कूल ऑफ इंजिनियरिंग सेंटर फॉर साइबर सिक्यूरिटी ने साइबर सुरक्षा क्षेत्र में सहयोगपूर्ण प्रयासों को मजबूती देने तथा इस क्षेत्र में अनुसंधान और नवोन्मेष को बढ़ाने के लिये एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये हैं.
आईआईटी कानपुर द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक समझौता ज्ञापन के अनुसार दोनों केंद्र साइबर हमले एवं इलेक्ट्रानिक युद्ध से देश की संवेदनशील अवसंरचनाओं को बचाने तथा उनकी सुरक्षा के लिये एक विशिष्ट केंद्र बनाने का प्रयास करेंगे जहां साइबर सुरक्षा से संबंधित अनुसंधान, शिक्षा, जन जागरूकता के लिये काम होगा और जिसकी पहुंच देश-विदेश तक होगी.
समझौते के अनुसार दोनों केंद्र द्विपक्षीय शैक्षिक वैज्ञानिक संबंध आगे बढ़ाने तथा साइबर हमलों को रोकने और उनका पता लगाने तथा उसे कम करने के लिये नयी प्रणाली के विकास तथा अंतरराष्ट्रीय साइबर सुरक्षा जैसे चुनिंदा अनुसंधान क्षेत्रों में अनुसंधान और शैक्षिक कार्यों को आपस में मिलकर आगे बढ़ायेंगे.
आईआईटी साइबर सिक्योरिटी फॉर क्रिटिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर केंद्र ने कम से कम छह स्नातक या पीएचडी छात्रों तथा दो संकाय सदस्यों को प्रति वर्ष इन केंद्रों में आमंत्रित करने की इच्छा जताई है. इन केंद्रों में भ्रमण करने वाले छात्र अनुसंधान कार्यों में अपनी भागदारी करेंगे अथवा मेजबान केंद्र द्वारा निर्धारित विशिष्ट अनुसंधान कार्यों में काम करेंगे.
इस संबंध में आईआईटी साइबर सिक्योरिटी के समन्वयक प्रोफेसर मणीन्द्र अग्रवाल और प्रोफेसर संदीप शुक्ला ने बताया कि न्यूयार्क यूनिवर्सिटी के टेंडन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग केंद्र के अबूधाबी परिसर में साइबर सुरक्षा विषय पर एक बड़ा महत्वपूर्ण अनुसंधान पाठ्यक्रम संचालित हो रहा है. भारत को ऐसे पाठ्यक्रमों की बहुत जरूरत है.
यह समझौता अगले सात वर्ष तक लागू रहेगा तथा समझौते की समाप्ति पर समीक्षा करने के उपरांत इसे बढ़ाया जा सकता है.
आईआईटी कानपुर द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक समझौता ज्ञापन के अनुसार दोनों केंद्र साइबर हमले एवं इलेक्ट्रानिक युद्ध से देश की संवेदनशील अवसंरचनाओं को बचाने तथा उनकी सुरक्षा के लिये एक विशिष्ट केंद्र बनाने का प्रयास करेंगे जहां साइबर सुरक्षा से संबंधित अनुसंधान, शिक्षा, जन जागरूकता के लिये काम होगा और जिसकी पहुंच देश-विदेश तक होगी.
समझौते के अनुसार दोनों केंद्र द्विपक्षीय शैक्षिक वैज्ञानिक संबंध आगे बढ़ाने तथा साइबर हमलों को रोकने और उनका पता लगाने तथा उसे कम करने के लिये नयी प्रणाली के विकास तथा अंतरराष्ट्रीय साइबर सुरक्षा जैसे चुनिंदा अनुसंधान क्षेत्रों में अनुसंधान और शैक्षिक कार्यों को आपस में मिलकर आगे बढ़ायेंगे.
आईआईटी साइबर सिक्योरिटी फॉर क्रिटिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर केंद्र ने कम से कम छह स्नातक या पीएचडी छात्रों तथा दो संकाय सदस्यों को प्रति वर्ष इन केंद्रों में आमंत्रित करने की इच्छा जताई है. इन केंद्रों में भ्रमण करने वाले छात्र अनुसंधान कार्यों में अपनी भागदारी करेंगे अथवा मेजबान केंद्र द्वारा निर्धारित विशिष्ट अनुसंधान कार्यों में काम करेंगे.
इस संबंध में आईआईटी साइबर सिक्योरिटी के समन्वयक प्रोफेसर मणीन्द्र अग्रवाल और प्रोफेसर संदीप शुक्ला ने बताया कि न्यूयार्क यूनिवर्सिटी के टेंडन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग केंद्र के अबूधाबी परिसर में साइबर सुरक्षा विषय पर एक बड़ा महत्वपूर्ण अनुसंधान पाठ्यक्रम संचालित हो रहा है. भारत को ऐसे पाठ्यक्रमों की बहुत जरूरत है.
यह समझौता अगले सात वर्ष तक लागू रहेगा तथा समझौते की समाप्ति पर समीक्षा करने के उपरांत इसे बढ़ाया जा सकता है.
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