परशुराम
नई दिल्ली:
आज यानि 27 जुलाई को गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) हैं. हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को 'गुरुपूर्णिमा' कहते हैं. आज ही के दिन चार वेदों के व्याख्याता महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था. इसलिए गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है. गुरुपूर्णिमा के दिन शिष्य अपने गुरु की पूजा करते हैं और उन्हें उपहार भी देते हैं. गुरु पूर्णिमा के मौके पर हम आपको कुछ ऐसे ही गुरुओं के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी महानता भारतीय इतिहास में दर्ज है.
आइये जानते है भारतीय इतिहास के महान गुरुओं के बारे में.
द्रोणाचार्य
कौरवों और पांडवों के गुरु रहे द्रोणाचार्य भारतीय इतिहास के महान गुरुओं में से एक हैं. ऐसा कहा जाता है कि द्रोणाचार्य का जन्म उत्तरांचल की राजधानी देहरादून में हुआ था. महाभारत युद्ध के समय वह कौरव पक्ष के सेनापति थे. आपको बता दें कि गुरु द्रोणाचार्य को एकलव्य ने अपना अंगूठा गुरु दक्षिणा के रूप में दिया था.
गुरु वशिष्ठ
गुरु वशिष्ठ राजा दशरथ के चारों पुत्रों के गुरु थे. वशिष्ठ के कहने पर दशरथ ने अपने चारों पुत्रों को ऋषि विश्वामित्र के साथ आश्रम में राक्षसों का वध करने के लिए भेज दिया था. गुरु वशिष्ठ को राजा बने बिना जो सम्मान प्राप्त था उसके सामने राजा का पद छोटा दिखता था.
महर्षि वेदव्यास
परशुराम
परशुराम को भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता है. मान्यता है कि पराक्रम के प्रतीक भगवान परशुराम का जन्म 6 उच्च ग्रहों के योग में हुआ, इसलिए वह तेजस्वी, ओजस्वी और वर्चस्वी महापुरुष बने. प्रतापी एवं माता-पिता भक्त परशुराम ने जहां पिता की आज्ञा से माता का गला काट दिया, वहीं पिता से माता को जीवित करने का वरदान भी मांग लिया. इस तरह हठी, क्रोधी और अन्याय के खिलाफ संघर्ष करने वाले परशुराम का लक्ष्य मानव मात्र का हित था.
चाणक्य
चाणक्य चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे. उन्हें 'कौटिल्य' के नाम से भी जाना जाता था. चाणक्य के नाम से प्रसिद्ध एक नीतिग्रंथ ‘चाण-क्य नीति’ भी प्रचलित है. उन्होने नंदवंश का नाश करके चन्द्रगुप्त मौर्य को राजा बनाया.
आइये जानते है भारतीय इतिहास के महान गुरुओं के बारे में.
द्रोणाचार्य
कौरवों और पांडवों के गुरु रहे द्रोणाचार्य भारतीय इतिहास के महान गुरुओं में से एक हैं. ऐसा कहा जाता है कि द्रोणाचार्य का जन्म उत्तरांचल की राजधानी देहरादून में हुआ था. महाभारत युद्ध के समय वह कौरव पक्ष के सेनापति थे. आपको बता दें कि गुरु द्रोणाचार्य को एकलव्य ने अपना अंगूठा गुरु दक्षिणा के रूप में दिया था.
गुरु वशिष्ठ
गुरु वशिष्ठ राजा दशरथ के चारों पुत्रों के गुरु थे. वशिष्ठ के कहने पर दशरथ ने अपने चारों पुत्रों को ऋषि विश्वामित्र के साथ आश्रम में राक्षसों का वध करने के लिए भेज दिया था. गुरु वशिष्ठ को राजा बने बिना जो सम्मान प्राप्त था उसके सामने राजा का पद छोटा दिखता था.
महर्षि वेदव्यास
परशुराम
परशुराम को भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता है. मान्यता है कि पराक्रम के प्रतीक भगवान परशुराम का जन्म 6 उच्च ग्रहों के योग में हुआ, इसलिए वह तेजस्वी, ओजस्वी और वर्चस्वी महापुरुष बने. प्रतापी एवं माता-पिता भक्त परशुराम ने जहां पिता की आज्ञा से माता का गला काट दिया, वहीं पिता से माता को जीवित करने का वरदान भी मांग लिया. इस तरह हठी, क्रोधी और अन्याय के खिलाफ संघर्ष करने वाले परशुराम का लक्ष्य मानव मात्र का हित था.
चाणक्य
चाणक्य चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे. उन्हें 'कौटिल्य' के नाम से भी जाना जाता था. चाणक्य के नाम से प्रसिद्ध एक नीतिग्रंथ ‘चाण-क्य नीति’ भी प्रचलित है. उन्होने नंदवंश का नाश करके चन्द्रगुप्त मौर्य को राजा बनाया.
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