नई दिल्ली:
दोहरे आवेदनों को रोकने और ज्यादा पारदर्शिता लाने की दिशा में सरकार अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए मैट्रिक के बाद की छात्रवृत्ति की वर्तमान योजना में संशोधन पर विचार कर रही है। यह कदम ऐसे समय सामने आया है जब हाल में महाराष्ट्र के छह अतिपिछड़े जिलों में केन्द्र द्वारा प्रायोजित मैट्रिक के बाद की छात्रवृत्ति के क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। संशोधित दिशानिर्देशों के अनुसार, राज्य शिक्षा बोर्ड या अन्य बोर्ड के पहचान पत्र के जरिये एसएससी अनुक्रमांक और उत्तीर्ण होने के महीने और वर्ष से यह सुनिश्चित होगा कि एक छात्र का एक से अधिक आवेदन नहीं हो।
इसके साथ लाभार्थी के लिए आधार के लिए नामांकन कराना अनिवार्य है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इसमें लाभार्थी के बैंक खातों से आधार संख्या जोड़ने का भी प्रस्ताव है। आवेदन और इसे प्रक्रिया से गुजारने के लिए स्पष्ट समयसीमा का भी प्रस्ताव है। बीए, बीएससी, एमए, एमएससी आदि जैसे सामान्य पाठ्यक्रमों के लिए संस्थानों द्वारा मंजूरी प्राधिकार को आवेदन जमा करने की अंतिम तारीख 31 अगस्त से आगे नहीं होनी चाहिए। अधिकारी ने कहा कि प्रस्तावित नये दिशानिर्देशों के अनुसार, पेशेवर पाठ्यक्रमों के लिए, अंतिम तारीख 30 नवंबर होनी चाहिए।
दिशानिर्देश में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि राज्य और केन्द्र की उचित संस्थाओं द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान ही योजना के लिए योग्य होंगे। योजना राज्यों द्वारा लागू की जाती है जिन्हें भारत सरकार से सौ प्रतिशत केन्द्रीय मदद मिलती है। छात्रवृत्ति उन छात्रों को दी जाती है जिनके माता पिता की सभी स्रोतों से आय ढाई लाख रूपये प्रति वर्ष से अधिक नहीं हो।
इसके साथ लाभार्थी के लिए आधार के लिए नामांकन कराना अनिवार्य है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इसमें लाभार्थी के बैंक खातों से आधार संख्या जोड़ने का भी प्रस्ताव है। आवेदन और इसे प्रक्रिया से गुजारने के लिए स्पष्ट समयसीमा का भी प्रस्ताव है। बीए, बीएससी, एमए, एमएससी आदि जैसे सामान्य पाठ्यक्रमों के लिए संस्थानों द्वारा मंजूरी प्राधिकार को आवेदन जमा करने की अंतिम तारीख 31 अगस्त से आगे नहीं होनी चाहिए। अधिकारी ने कहा कि प्रस्तावित नये दिशानिर्देशों के अनुसार, पेशेवर पाठ्यक्रमों के लिए, अंतिम तारीख 30 नवंबर होनी चाहिए।
दिशानिर्देश में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि राज्य और केन्द्र की उचित संस्थाओं द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान ही योजना के लिए योग्य होंगे। योजना राज्यों द्वारा लागू की जाती है जिन्हें भारत सरकार से सौ प्रतिशत केन्द्रीय मदद मिलती है। छात्रवृत्ति उन छात्रों को दी जाती है जिनके माता पिता की सभी स्रोतों से आय ढाई लाख रूपये प्रति वर्ष से अधिक नहीं हो।
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