
हम अकसर कहते-सुनते हैं कि किसी भी नौकरी में 'जॉब सैटिस्फैक्शन' होना बेहद जरूरी है. इसी से जॉब व करियर में हमारी तरक्की तय होती है. अगर ये न हो इसका बुरा असर हमारे प्रदर्शन पर पड़ता है. लेकिन हद से ज्यादा 'जॉब सैटिस्फैक्शन' के कुछेक नुकसान भी होते हैं जिनसे हमें बचकर रहना चाहिए. आइए जानते हैं इन नुकसानों में बारे में...
कंफर्ट जोन से कभी बाहर नहीं निकलना
'जॉब सैटिस्फैक्शन' होने पर आपकी प्रोफेशनल लाइफ तो अच्छी रहती है लेकिन इसका एक बुरा असर ये पड़ता है कि आप अपने कंफर्ट जोन से कभी बाहर नहीं निकलना चाहते. आपको उसमें रहने की आदत पड़ जाती है. आप वही टास्क करना चाहते हैं जो कि आपको कंपनी ज्वॉइन करते वक्त दी गई थी. कोई भी नई चीज करने या सुझाने से आप कतराते हैं.
खुद को चैलेंज करने से हमेशा बचना
अत्यधिक 'जॉब सैटिस्फैक्शन' होने पर आप किसी भी चुनौतिपूर्ण कार्य के आने की स्थिति में उसे स्वीकार करने से हिचकिचाते हैं. आपमें पूरी टीम के बीच किसी नए कार्य को आगे बढ़कर स्वेच्छा से करने की हिम्मत कम हो जाती है. ऐसे में ध्यान रखें कि जॉब के प्रति संतुष्टि होना कहीं आपके करियर में रोड़ा न बन जाए.
चली जाती है करियर में रिस्क लेने की उम्र
अपने लक्ष्य को पाने के लिए करियर में प्लानिंग की जरूरत होती है. करियर के किसी पड़ाव पर की गई एक गलती आगे जाकर अपने भयावह परिणाम छोड़ती है. इसलिए सही वक्त पर सही कदम उठाना बेहद जरूरी होता है. करियर में बड़े रिस्क लेने की भी एक उम्र होती है. जितने लेट होते हैं रिस्क लेने की क्षमता भी उतनी कम होती जाती है. जरूरत से ज्यादा 'जॉब सैटिस्फैक्शन' होने पर हम रिस्क लेने से हमेशा डरते हैं. आपको यह सवाल हमेशा असमंजस में रखता है कि नई कंपनी में आपको ऐसा माहौल, काम और सहूलियतें मिलेंगी या नहीं.
कंफर्ट जोन से कभी बाहर नहीं निकलना
'जॉब सैटिस्फैक्शन' होने पर आपकी प्रोफेशनल लाइफ तो अच्छी रहती है लेकिन इसका एक बुरा असर ये पड़ता है कि आप अपने कंफर्ट जोन से कभी बाहर नहीं निकलना चाहते. आपको उसमें रहने की आदत पड़ जाती है. आप वही टास्क करना चाहते हैं जो कि आपको कंपनी ज्वॉइन करते वक्त दी गई थी. कोई भी नई चीज करने या सुझाने से आप कतराते हैं.
खुद को चैलेंज करने से हमेशा बचना
अत्यधिक 'जॉब सैटिस्फैक्शन' होने पर आप किसी भी चुनौतिपूर्ण कार्य के आने की स्थिति में उसे स्वीकार करने से हिचकिचाते हैं. आपमें पूरी टीम के बीच किसी नए कार्य को आगे बढ़कर स्वेच्छा से करने की हिम्मत कम हो जाती है. ऐसे में ध्यान रखें कि जॉब के प्रति संतुष्टि होना कहीं आपके करियर में रोड़ा न बन जाए.
चली जाती है करियर में रिस्क लेने की उम्र
अपने लक्ष्य को पाने के लिए करियर में प्लानिंग की जरूरत होती है. करियर के किसी पड़ाव पर की गई एक गलती आगे जाकर अपने भयावह परिणाम छोड़ती है. इसलिए सही वक्त पर सही कदम उठाना बेहद जरूरी होता है. करियर में बड़े रिस्क लेने की भी एक उम्र होती है. जितने लेट होते हैं रिस्क लेने की क्षमता भी उतनी कम होती जाती है. जरूरत से ज्यादा 'जॉब सैटिस्फैक्शन' होने पर हम रिस्क लेने से हमेशा डरते हैं. आपको यह सवाल हमेशा असमंजस में रखता है कि नई कंपनी में आपको ऐसा माहौल, काम और सहूलियतें मिलेंगी या नहीं.
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