The Anand Kumar Show: देश के सबसे भरोसेमंद न्यूज चैनल NDTV पर 'The आनंद कुमार Show' का आगाज हो चुका है. शिक्षक दिवस की रात्रि 8.30 बजे 'The आनंद कुमार Show' का पहला एपिसोड लॉन्च हो गया है. इस शो के एंकर ही नहीं हीरो हैं बिहार के जाने-माने गणितज्ञ आनंद कुमार. जी हां आपने सही पहचाना ये वही आनंद कुमार हैं जो सुपर 30 कोचिंग सेंटर के संस्थापक हैं. वही आनंद कुमार जिनपर बॉलीवुड की सुपरहिट फिल्म 'सुपर 30' बनाई गई थी, जिसके हीरो रितिक रौशन थे.
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'The आनंद कुमार Show' के पहले एपिसोड में आनंद कुमार ने इंस्पिरेशनल ढेरों बातें कहीं. उन्होंने उस लड़के की कहानी बताई जिसने उन्हें सुपर 30 कोचिंग की नींव रखने के लिए मजबूर किया. शो के दौरान कोटा से लेकर आईआईटी, आईआईएम में पढ़ रहे बच्चों के तनाव, डिप्रेशन से लेकर उनके दुखद अंत पर भी बात हुई. इस शो में आए बच्चों ने आनंद सर से अपने मन की बात की, सवाल किए. आइये जानते है कि आनंद सर ने बच्चों के सवालों का क्या जवाब दिया-
सवाल-बच्चे डिप्रेशन में हैं क्योंकि वे अपने डिप्रेशन के बारे में किसी को समझा नहीं पाते हैं, अगर वे किसी को समझाते भी हैं तो लोग उन्हें पागल समझ लेते हैं या फिर इग्नोर कर देते हैं. ऐसे में हम डिप्रेशन में है, यह बात लोगों को कैसे समझाएं?
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आनंद सर का जवाब- जब आप डिप्रेशन में हैं तो आपको अपने दोस्तों से बातचीत करना चाहिए. आपको देखना चाहिए कि आपका कौन हितैशी है, मदर है, फादर है उससे खुल कर अपनी मन की बात करनी चाहिए. उन्हें बताना चाहिए कि आजकल मैं इस समस्याओं से घिरा हुआ हूं. मैं दूसरों की क्या बता करूं मैं, आज भी दो चार दोस्त को रखता हूं. मेरे जीवन में भी कई ऐसा हालात आए, पढ़ाई के दौरान, सुपर 30 के बच्चों को पढ़ाने के दौरान भी ऐसे हालात आएं. यही नहीं जब फिल्म रिलीज हो रही थी तो माफियों ने हालात पैदा किएं. मैं बहुत डिप्रेशन में था, दवाब में था, तनाव में था. तब मैं अपने दोस्तों से घंटों बाते करता था. बातें करके रीलैक्स लगता है. ऐसे साथियों का होना बहुत जरूरी है, जो आपके दुख-दर्द को सुने और आपका मन हल्का हो और जो आपको उत्साहित और प्रोत्साहित करें.
इंदौर से एक पैरेंट्स का सवाल - आनंद सर आप भी एक पिता है, आपके घर में भी बच्चे हैं. जब आपके समक्ष पढ़ाई से या फाइनेंशियल समस्याएं आती हैं तब आप अपने घर की परिस्थियों को कैसे संभालते हैं?
आनंद सर का जवाब- बहुत अच्छा सवाल है. पैरेंट्स के लिए इस सवाल का जवाब जानना बेहद जरूरी है. जब हमारे बच्चे कम पढ़ते हैं, वीडियो गेम में उलझ जाते हैं या खेल में ज्यादा वक्त देते हैं, तो ऐसी स्थिति में मैं और मेरी पत्नी दोनों परेशान हो जाते हैं. पर खुद को समझाते हैं कि हर बच्चे में अलग तरह की खूबियां होती हैं, हर बच्चे में अलग तरह का टैलेंट होता है. यह मेरा मंत्र है, कभी भी बच्चों को यह अहसास मत कराईए कि आप अपराधी हो, अपराध बोध का अहसास उन्हें मत कराईए. बल्कि उन्हें यह बताईए कि क्या गलत है क्या सही है. महात्मा बुध ने बहुत सही कहा है कि किसी को अपराधी करने के बजाए उसे सही गलत के फर्क को समझाने का प्रयास करना चाहिए. मैं बच्चों को सही-गलत समझाने का प्रयास करता हूं. मेरे बच्चे भी पढ़ाई करते, खेलते-कूदते है लेकिन मैं अपने अधूरे सपनों को उनपर थोपने का प्रयास नहीं करता हूं. मैं अपने अधूरे सपनों को उनकी आंखों में देखने का प्रयास नहीं करता हूं. बच्चे खिले, फले-फूले इसकी पूरी आजादी देता हूं.
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