पीएसीएल मामले में 60,000 करोड़ रुपये की वसूली के प्रयास के तहत भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) समूह की 192 जिलों में रियल एस्टेट परिसंपत्तियों को बिक्री के लिए पेश करेगा. इनमें से मुख्य रूप से पंजाब और राजस्थान शामिल हैं.
पीएसीएल ने जनता से कृषि और रियल एस्टेट कारोबार के नाम पर धन जुटाया था. सेबी ने अपनी जांच में पाया कि कंपनी ने 18 साल के दौरान गैरकानूनी सामूहिक निवेश योजनाओं :सीआईएस: के जरिये धन जुटाया है. उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद सेबी ने एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है जिससे सही निवेशकों को पीएसीएल की कुर्क संपत्तियों की बिक्री से धन वापस लौटाया जा सके. इनमें कंपनी के वाहन भी शामिल हैं.
इस समिति के प्रमुख भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा है. समिति निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए संपत्तियों की बिक्री का काम देख रही है. निवेशकों का पैसा लौटाने से पहले इस बात की पुष्टि की जाएगी कि वे सही निवेशक हैं. समिति ने 192 जिलों में संपत्तियों की बिक्री के लिए सार्वजनिक तौर पर रचि पत्र (ईओआई) मांगे है. ईओआई मिलने के बाद नीलामी दो माह या समिति द्वारा तय उचित समय पर की जाएगी.
सेबी ने कहा कि पीएसीएल, उसकी अनुषंगियां, सहायक कंपनियां, पुराने या मौजूदा निदेशक, कर्मचारी और एजेंट नीलामी प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकते हैं. नीलामी के लिए पेश की जाने वाली ज्यादातर संपत्तियां पंजाब, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान में हैं.
इसके अलावा नियामक कल कंपनी के 47 वाहनों की नीलामी करेगा. पिछले दिसंबर में सेबी ने निवेशकों का 60,000 करोड़ रुपये लौटाने पर विफल रहने पर पीएसीएल और उसके 9 प्रवर्तकों तथा निदेशकों की संपत्तियों की कुर्की का आदेश दिया था.