वैश्विक रेटिंग एजेंसी, स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एस एंड पी) ने शुक्रवार को कहा कि का भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति उसका अनुमान नकारात्मक बना हुआ है और अगले 12 महीनों में इसमें और गिरावट आने की आशंका है।
एस एंड पी ने शुक्रवार को जारी आंकड़ों में भारत को 'बीबीबी माइनस' दीर्घकालिक और 'ए-3' अल्पकालिक रेटिंग देते हुए कहा, "दीर्घकालिक रेटिंग अब भी नकारात्मक है।"
यह सर्वाधिक निम्न निवेश रेटिंग है। यदि इसमें और गिरावट आती है तो भारत की स्थिति 'जंक रेटिंग' में पहुंच जाएगी, जिससे उसे विदेशों से ऋण मिलने में मुश्किलें आएंगी और यह महंगा भी हो जाएगा।
एजेंसी ने हालांकि यह भी कहा है कि यदि भारत में सरकार आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक एवं निजी निवेश को बाधामुक्त कर देती है तो देश की 'सोवरेन रेटिंग' बढ़ सकती है, जो इस आधार पर होती है कि वह अपनी वित्तीय जवाबदेहियों को पूरा करने में कितना सक्षम है।
एस एंड पी के विश्लेषक ताकाहिरा ओगावा ने कहा, "उच्च वित्तीय घाटा तथा सरकार पर कर्ज का भारी बोझ अब भी भारत के प्रति हमारी 'सोवरेन रेटिंग' में एक महत्वपूर्ण बाधा है। तथापि सरकार ने सार्वजनिक वित्त पर नियंत्रण पा लिया है और सितंबर 2012 से नए संरचनात्मक सुधार की शुरुआत की है।"
एस एंड पी ने कहा है कि भारत में विकास की दीर्घकालिक संभावना तथा व्यापक विदेशी विनिमय भंडार से रेटिंग बढ़ाने में मदद मिली है, जबकि देश के भारी वित्तीय घाटे तथा कर्ज और इसकी मध्यवर्ती आय अर्थव्यवस्था बेहतर रेटिंग के मार्ग में प्रमुख बाधाएं हैं।