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RBI और केंद्र सरकार ने 500 रुपये और 1,000 रुपये के पुराने नोटों को बंद करने के फैसले का किया बचाव

Demonetisation: सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए तर्क पर सवाल उठाते हुए कहा कि आरबीआई के पास मुद्रा के मुद्दों से संबंधित सर्वोच्च अधिकार है, इसलिए  सिफारिशें आरबीआई से निकलनी चाहिए, न कि केंद्र सरकार से.
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NDTV Profit हिंदी01:40 PM IST, 06 Dec 2022NDTV Profit हिंदी
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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और केंद्र सरकार ने सोमवार को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष 500 रुपये और 1,000 रुपये के पुराने नोटों को बंद करने के केंद्र के फैसले का बचाव किया और कहा कि सभी प्रक्रिया का पालन किया गया था. ANI की रिपोर्ट के अनुसार, इस सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से अटार्नी जनरल (एजी) आर वेंकटरमणि और आरबीआई  (RBI) का प्रतिनिधित्व करते हुए सीनियर एडवोकेट  जयदीप गुप्ता सुप्रीम कोर्ट में हुई कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सामने पेश हुए. इन दोनों ने डिमोनेटाइजेशन यानी नोटबंदी (Demonetisation) के फैसले का बचाव किया.

एजी ने कहा कि आरबीआई  (RBI) अधिनियम की धारा 26 को अत्यधिक प्रतिनिधिमंडल  नहीं माना कि जा सकता है, इसके  दो प्राथमिक कारण थे. क्योंकि आरबीआई अधिनियम की धारा 3 केंद्र सरकार को मुद्रा के प्रबंधन को संभालने के लिए आरबीआई की पूरी ताकत को स्थानांतरित करती है और शक्ति का हस्तांतरण शक्ति के प्रतिनिधिमंडल के समान नहीं है.  जयदीप गुप्ता ने कहा कि नोटबंदी  से पहले निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया गया है. इसको लेकर इस आधार पर आलोचना नहीं की जा सकती है कि आरबीआई और केंद्र की ओर से प्रक्रिया में चूक हुई है. 

वहीं, इस सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए तर्क पर सवाल उठाते हुए कहा कि आरबीआई के पास मुद्रा के मुद्दों से संबंधित सर्वोच्च अधिकार है, इसलिए  सिफारिशें आरबीआई से निकलनी चाहिए, न कि केंद्र सरकार से. जिसके बाद कोर्ट के इस सवाल का जवाब देते हुए एजी ने कहा कि एक महत्वपूर्ण मौद्रिक नीति में धारा 26 उनके लिए सहायक है, इसलिए आरबीआई और सरकार ने परामर्श का काम किया है.

 इसके अलावा एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड एचएस परिहार और एडवोकेट कुलदीप परिहार और इक्षिता परिहार द्वारा एक अतिरिक्त हलफनामा प्रस्तुत किया गया. जिसमें केंद्र ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा 26 (2) को अलग-अलग नहीं पढ़ा जा सकता है. 

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