देश के बड़े उद्योगपति और 128 बिलियन डॉलर के कॉन्गलोमरेट टाटा ग्रुप के चेयरमैन एमेरिटस 84 साल के रतन टाटा ने एक खास स्टार्टअप को अपना समर्थन दिया है. 'Goodfellows' नाम की यह स्टार्टअप कंपनी युवाओं और वरिष्ठ नागरिकों को जोड़ने का काम करती है. मंगलवार को मुंबई में यह स्टार्टअप लॉन्च हुआ है. इसका मोटो "पीढ़ियों के बीच दोस्ती" को बढ़ावा देना है. इस स्टार्टअप ने बताया कि उसे रतन टाटा की ओर से निवेश मिला है. (निवेश की रकम कितनी है, इसे उजागर नहीं किया गया है.) टाटा संस लिमिटेड के अंतर्गत लगभग 150 कंपनियां आती हैं, इसमें सॉफ्टवेयर कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विस लिमिटेड और देश की सबसे बड़ी स्टील निर्माता कंपनी टाटा स्टील लिमिटेड भी शामिल हैं.
Goodfellows स्टार्टअप की शुरुआत 30 साल के शांतनु नायडू ने की है. वो रतन टाटा के ऑफिस का काम और जनरल मैनेजर के रोल में उनका स्टार्टअप निवेश पोर्टफोलियो देखते हैं. वो टाटा ट्रस्ट के डिप्टी जनरल मैनेजर भी हैं. कुछ वक्त पहले रतन टाटा के साथ शांतनु की कई तस्वीरें वायरल हुई थीं, जिसके बाद टाटा ग्रुप में उनकी उपलब्धियों का पता चला था.
उनके स्टार्टअप की लॉन्चिंग पर रतन टाटा ने कहा कि "आपको तब तक अकेले होने का मतलब समझ नहीं आता, जबतक आप एक साथी की चाह में अकेलापन महसूस नहीं करते हैं. आपको बूढ़े होने से डर नहीं लगता, लेकिन जब आप बूढ़े हो जाते हैं तो आपको समझ आता है कि दुनिया बहुत मुश्किल है."
Bloomberg की रिपोर्ट के मुताबिक, शांतनु नायडू ने बताया कि इस स्टार्टअप का आइडिया उनको रतन टाटा के साथ उनकी खुद की घनिष्ठता से आया. उन्होंने कहा कि "साढ़े पांच सालों के अंतर वाले दोनों लोगों की यह दोस्ती दो पीढ़ियों के बीच दोस्ती का सबसे बड़ा उदाहरण है." उन्होंने बताया कि उनकी टाटा जैसे उम्र के लोगों से बनती है क्योंकि वो उनकी बुद्धिमत्ता, जिंदगी के एक-एक पल को जी लेने की जिजीविषा और इस उम्र की मासूमियत की ओर खुद को खिंचता हुआ पाते हैं.
रतन टाटा भारत की स्टार्टअप इकोनॉमी में एक स्टार के तौर पर देखे जाते हैं. उन्होंने पिछले कुछ सालों में Lenskart, Paytm, Ola Electric Mobility Pvt. और Upstox जैसी स्टार्टअप कंपनियों में पैसा लगाया है. उनसे एक छोटा चेक भी मिलना नई कंपनियों के लिए सम्मान की बात है.
शांतनु नायडू, इसके पहले भी अपने पहले स्टार्टअप Motopaws के लिए टाटा से फंडिंग पा चुके हैं. Goodfellows कंपनी 70 से ऊपर के वृद्धजनों को बीसेक साल के युवाओं से जुड़ने और मित्रता करने का मौका देती है. इन युवाओं का चयन कई राउंड के टेस्ट के बाद होता है. इन युवाओं में से कई इंजीनियर ग्रेजुएट, आर्ट्स या फिल्ममेकिंग में दिलचस्पी रखने वाले लोग हैं. सब्सक्रिप्शन बेस्ड यह सुविधा फिलहाल बस मुंबई में उपलब्ध है. बेंगलुरु में इसे जल्द शुरू किया जाएगा.
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