वित्त मंत्रालय ने सेवानिवृत्ति तथा गेच्युटी फंड में जमा धन का 30 प्रतिशत तक शेयर बाजार में निवेश का प्रस्ताव किया है। मंत्रालय के इस सुझाव का ट्रेड यूनियनों द्वारा विरोध किए जाने की संभावना है।
प्रस्ताव के अनुसार गैर-सरकारी भविष्य निधि, पेंशन तथा ग्रेच्युटी कोष का 15 प्रतिशत तक उन कंपनियों के शेयरों में निवेश किया जा सकता है, जिनमें वायदा एवं विकल्प कारोबार होता है या शेयर आधारित म्यूचुअल फंडों में भी लगाया जा सकता है।
सेवानिवृत्ति कोष का 15 प्रतिशत हिस्सा ऐसे एक्सचेंज ट्रेडेड फंड या इंडेक्स फंड में निवेश किया जा सकता है, जो सेंसेक्स या निफ्टी में शामिल शेयरों पर आधारित होते हैं। कोष को सरकारी प्रतिभूतियों में 40 प्रतिशत तक निवेश की अनुमति होगी। मौजूदा नियमों के तहत इस प्रकार के कोष का निवेश शेयर बाजारों में नहीं किया जा सकता।
सरकारी बांड जैसे ऋण प्रतिभूतियों के संदर्भ में मौजूदा निवेश सीमा कुल कोष का 55 प्रतिशत है। हालांकि ट्रेड यूनियनों ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक के कोष का एक हिस्सा शेयर बाजार में लगाने के किसी भी कदम का विरोध करने का निर्णय किया है।
भारतीय मजदूर संघ के महासचिव वृजेश उपाध्याय ने कहा, इससे पहले हमने शेयर बाजार में ईपीएफओ के किसी भी प्रकार के निवेश का विरोध किया था। हम फिर इसका विरोध करेंगे, क्योंकि यह गरीब कर्मचारियों की जमा पूंजी है।
मसौदा प्रस्ताव के अनुसार सेंसेक्स और निफ्टी पोर्टफोलियो पर आधारित इंडेक्स फंड को इस रूप से तैयार किया जाना चाहिए, जिससे प्रतिभूति में निवेश को सूचकांक की तुलना में समान भारांश मिल सके। मसौदा में निवेश दिशा निर्देश 1 अप्रैल, 2015 से प्रभावी करने का प्रस्ताव है।