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500 रुपए और 1000 रुपए के नोट बैन होने से कश्मीर में कोई डर नहीं, वजह जानकर हैरान रह जाएंगे आप

देश में 500 और 1,000 रुपये की नोटबंदी के कारण हर तरफ अफरातफरी का माहौल है लेकिन कश्मीर के लोगों में सरकार के इस कदम को लेकर कोई डर नहीं है. कश्मीर विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र पढ़ाने वाली एलिजाबेथ मरयम ने कहा, "कश्मीर के अस्थिर हालात के कारण कोई भी कश्मीरी बड़ी मात्रा में नकदी अपने पास नहीं रखता."
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NDTV Profit हिंदी11:57 AM IST, 17 Nov 2016NDTV Profit हिंदी
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देश में 500 और 1,000 रुपये की नोटबंदी के कारण हर तरफ अफरातफरी का माहौल है लेकिन कश्मीर के लोगों में सरकार के इस कदम को लेकर कोई डर नहीं है. कश्मीर विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र पढ़ाने वाली एलिजाबेथ मरयम ने कहा, "कश्मीर के अस्थिर हालात के कारण कोई भी कश्मीरी बड़ी मात्रा में नकदी अपने पास नहीं रखता."

मरयम ने कहा, "वेतनभोगियों को बैंक खातों के जरिये ही मासिक वेतन मिलता है और आमतौर पर वे दैनिक जरूरतों के अनुसार ही रुपये खातों से निकालते हैं." उन्होंने कहा, "कुशल और अकुशल कामगार उतना ही कमा पाते हैं, जितना औसतन वे खर्च करते हैं. यहां हालात खराब होने के कारण बड़े उद्योगपति और कारोबारी घर में बड़ी मात्रा में नकदी नहीं रखते. यही कारण है कि नोटबंदी से कश्मीर पर कम प्रभाव पड़ा है."

स्थानीय जम्मू एवं कश्मीर बैंक के अधिकारी नजीर काजी ने बताया कि बैंक के सभी एटीएम में पूरा स्टॉक है. उन्होंने कहा, "पिछले आठ दिनों में न तो हमारी बैंक शाखा और न ही एटीएम बूथों पर भीड़ उमड़ी है. हां, लोग 500 और 1,000 रुपये के नोट बदलने और उन्हें खातों में जमा राने आ रहे हैं, लेकिन किसी को परेशानी नहीं हो रही है."

वहीं, एक कॉलेज के प्रिंसिपल मुफ्फर अहमद ने कहा, "पिछले चार माह से जारी विरोध प्रदर्शनों और बंद के कारण जहां आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है, वहां नकदी संकट को लेकर कौन अपना ब्लड-प्रेशर और अधिक बढ़ाएगा?" लोगों ने उस आधिकारिक दावे की भी निंदा की, जिसके मुताबिक नोटबंदी से पथराव की घटनाएं घटी हैं और घाटी में आतंकवाद की घटनाओं में कमी आई है.

स्थानीय कांट्रैक्टर जहूर अहमद (55) ने कहा, "रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि नोटबंदी से पथराव की घटनाएं खत्म हो गई हैं और घाटी में आतंकवाद कम हो गया है. इस तरह के बयान को कश्मीर में कोई भी स्वीकार नहीं कर सकता." उन्होंने कहा, "क्या आप चाहते हैं कि हम इस पर विश्वास कर लें कि यहां का युवा अलगाववादियों से 500 रुपये लेकर सुरक्षा बलों की गोली से जान गंवाने और पेलेट से अंधा होने के लिए तैयार है? यह पूरी तरह बकवास है." हालांकि खुफिया अधिकारियों का मानना है कि जाली नोट घाटी में जारी माजूदा आतंकवाद से गहरे जुड़ा है और नए नोटों को इससे जोड़ने में आतंकवादियों को वक्त लगेगा.

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