प्रमुख सरकारी बीमा कंपनी LIC (Life Insurance Corporation) और भारत के सबसे बड़े आईपीओ (LIC IPO) के सूखे-सूखे डेब्यू के बाद अब इसकी संभावनाओं को लेकर चर्चा हो रही है. निवेशक और विश्लेषक अगली रणनीति पर विचार रहे हैं, वहीं यह सवाल भी उठ रहा है कि सरकार क्या कर सकती है या उसे क्या करना चाहिए. मंगलवार को एलआईसी की लिस्टिंग शेयर बाजारों में 7.8% की गिरावट के साथ हुई थी, यह डेब्यू इस साल के सबसे बड़े आईपीओ में दूसरा सबसे खराब डेब्यू रहा. ऐसे में कहा जा रहा है कि अगर सरकार चाहती है कि लोग कंपनी के शेयरों को अपने पास रखे रहें, तो इसके लिए उसे उन्हें डिविडेंड यानी लाभांश देने पर विचार करना चाहिए. कंपनी के मालिकों की ओर से प्रॉफिट में से शेयरधारकों को दिए जाने वाले हिस्से को डिविडेंड या लाभांश कहते हैं.
बता दें कि एलआईसी ने देश के सबसे बड़े आईपीओ के तहत 2.7 बिलियन डॉलर जुटाया है. इसकी लिस्टिंग वैल्यू 949 रुपये निर्धारित की गई थी. लेकिन मंगलवार को डेब्यू ही 9.4 फीसदी गिरावट के साथ 860 रुपये पर हुई. बुधवार को भी कंपनी के शेयरों में यह गिरावट जारी रही.
बाजार विश्लेषकों और निवेशकों को आशंका है कि इसकी कीमतें और नीचे जा सकती हैं, क्योंकि सरकार की ओर से आगे और विनिवेश को लेकर फैसलों, शेयरधारकों के लिए इंसेटिव की कमी जैसी चीजें इसके लिए अच्छी संभावनाएं खत्म कर सकती हैं.
सरकार को देना होगा कुछ ऑफर
Bloomberg की एक रिपोर्ट के मुताबिक, IIFL Securities Ltd. के असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट फॉर रिसर्च जयेश भानुशाली ने कहा कि "एलआईसी का स्टॉक उतार-चढ़ाव वाले बाजार मे हेज की तरह काम कर सकता है, लेकिन अगर सरकार एलआईसी में अपनी और हिस्सेदारी बेचती है तो मीडियम टर्म में इसके शेयरों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है." उन्होंने कहा कि अगर सरकार 3-4 फीसदी का डिविडेंड देती है तो शेयरधारक कंपनी के साथ बने रह सकते हैं.
Equinomics Research & Advisory Pvt. के रणनीतिकार चोक्कालिंगम जी ने भी डिविडेंड पर ही जोर दिया और कहा कि एलआईसी का डिविडेंड निवेशकों को कंपनी के साथ बने रहने के लिए उत्साहित करेगा. उन्होंने कहा कि स्टॉक जिस प्राइस पर खुदरा निवेशकों को अलॉट हुआ था, उससे नीचे चल रहा है और अगर इससे भी नीचे जाता है तो सरकार को कुछ न कुछ ऑफर करना होगा, ताकि शेयरधारक बने रहें.
हालांकि, बाजार में गिरावट के बावजूद बहुत से शेयरधारक कंपनी के शेयर अपने पोर्टफोलियो में बनाए रखने की रणनीति अपना रहे हैं, इस उम्मीद के साथ कि जब कीमतें एक बार स्थिर होंगी तो लॉन्ग टर्म में उन्हें इससे फायदा होगा.
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