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देश में सांठगाठ से चलने वाले पूंजीवाद को खत्म करेगा IBC

नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने कहा कि नई दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) लागू होने से देश में साठगांठ से चलने वाला पूंजीवाद (क्रोनी कैप्टिलिज्म) समाप्त हो जाएगा हालांकि इस कानून के अमल में अभी कुछ आरंभिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
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NDTV Profit हिंदी12:14 PM IST, 18 May 2018NDTV Profit हिंदी
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नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने कहा कि नई दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) लागू होने से देश में साठगांठ से चलने वाला पूंजीवाद (क्रोनी कैप्टिलिज्म) समाप्त हो जाएगा हालांकि इस कानून के अमल में अभी कुछ आरंभिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. मोदी सरकार के प्रमुख सुधारों पर प्रकाश डालते हुए कांत ने कहा, "आईबीसी के प्रभावी होने से सांठगांठ से चलने वाले पूंजीवाद की समाप्ति सुनिश्चित होगी. पहले आप कर्ज लेते थे और वापस नहीं लौटाते थे, लेकिन यदि अब आपने भुगतान नहीं किया तो आपको अपने व्यापार से हाथ धोना पड़ेगा." 

इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स (आईसीसी) एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से बात करते हुए उन्होंने माना कि आईबीसी सहिंता में अभी कुछ समस्याएं सामने आ रही हैं क्योंकि यह नया कानून है और उम्मीद है कि ये बेहतर नतीजे देगा. 

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी एनपीए खातों का निर्धारित समय में समाधान नहीं निकलपाने की वजह से आईबीसी सहिंता पर कुछ सवाल उठे थे. 

आईबीसी के तहत समाधान के लिए 270 दिनों की समयसीमा तय है या फिर ऐसा नहीं होने पर परिसमापन के लिए भेजना अनिवार्य है लेकिन विभिन्न कानूनी विवादों की वजह से इसमें देरी हो रही है. 

उन्होंने कहा , " एक के बाद एक कारोबारी अपने कारोबार साम्राज्य खो रहे हैं. राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में उनकी बोली लगाई जा रही है." 

कांत ने कहा कि एनपीए की वजह से बैंक ठप्प हो रहे हैं और इसमें सार्वजनिक पैसा जुड़ा होने के नाते सरकार को कुछ कदम उठाने की जरुरत है. कांत ने कहा, " जीडीपी की उच्च दर हासिल करने में देश के पुराने हो चुके संस्थान एक बड़ी बाधा बन रहे हैं , जिन्हें नया रूप देने की जरुरत है. आप तब तक 9 से 10 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि नहीं हासिल कर सकते जब तक कि आप कई संस्थानों को पुनर्गठित नहीं करते ... उदाहरण के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग , अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद , भारतीय चिकित्सा परिषद में क्रांतिकारी पुनर्गठन की जरुरत है."

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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