सरकार ने नकदी संकट से जूझ रहे चीनी मिल उद्योग को और 4,400 करोड़ रुपये का ब्याज-मुक्त ऋण सुलभ कराएगी ताकि मिले गन्ना किसानों के बकाए का भुगतान कर सकें।
चीन मिलों को राहत पहुंचाने के लिए सरकार ने चीनी पर आयात शुल्क भी 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया है तथा चीनी के लिए 3,300 रुपये प्रति टन की निर्यात सब्सिडी की अवधि बढ़ाकर सितंबर तक कर दी है।
सरकार यह सुनिश्चित करने का भी प्रयास करेगी कि पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण की पक्की व्यवस्था हो सके।
ये फैसले प्रधानमंत्री के निर्देश पर खाद्य मंत्री राम विलास पासवान द्वारा बुलाई गई उच्च-स्तरीय बैठक में किए गए। प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्र और मंत्रिमंडल सचिव अजित सेठ भी इस बैठक में मौजूद थे।
बैठक के बाद पासवान ने कहा 'हमने चार प्रमुख फैसले किए। हमने चीनी मिलों को उनके द्वारा चुकाये जाने वाले उत्पाद शुल्क के विरुद्ध तीन साल की बजाय पांच साल के लिए ब्याज-मुक्त ऋण देने का फैसला किया है।'
उन्होंने कहा कि चीनी मिले अब बैंकों से कुल 4,400 करोड़ रुपये तक का अतिरिक्त ब्याज मुक्त ऋण प्राप्त कर सकेंगी।
पासवान ने कहा कि इससे मिलों के पास नकदी का प्रवास सुधरेगा और उन्हें किसानों के बकाए का भुगतान करने में आसानी होगी।