प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 30.50 करोड़ रूपए की चल और अचल संपत्तियों को कुर्क किया है. यह कुर्की Prevention of Money Laundering Act (PMLA), 2002 के तहत शुभ्रा ज्योति भराली (औद्योगिक सहकारी बैंक लिमिटेड (ICBL) के तत्कालीन प्रबंध निदेशक) और उनके परिवार के सदस्यों और सहयोगियों के स्वामित्व वाली संपत्ति की हुई है. ईडी ने पान बाजार पुलिस स्टेशन गुवाहाटी द्वारा आईपीसी, 1860 की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज प्राथमिकी के आधार पर, औद्योगिक सहकारी बैंक लिमिटेड (आईसीबीएल) के तत्कालीन प्रबंध निदेशक शुभ्रा ज्योति भराली और अन्य के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की.
शुभ्रा ज्योति भराली और अन्य के खिलाफ आईपीसी, 1860 की विभिन्न धाराओं के तहत यह आरोप लगा कि उन्होंने आईसीबीएल के धन का दुरुपयोग किया और इस सिलसिले में एक अन्य प्राथमिकी ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (आर्थिक अपराध), असम पुलिस द्वारा दर्ज की गई.
ईडी की जांच से पता चला कि वेतन, इन्सेन्टीव और यात्रा भत्ते की आड़ में आईसीबीएल के पेमेंट कलेक्टर्स और फील्ड एक्जीक्यूटिव (पीसी और एफई) के नाम पर रखे गए खातों में अत्यधिक राशि जमा की गई थी. पीसी और एफई के नाम पर आईसीबीएल के पास रखे गए सभी खाते शुभ्रा ज्योति भराली द्वारा संचालित किए जाते थे. इसके अलावा कुल 4.5 करोड़ का गबन किया गया था जिसमें ग्यारह अयोग्य लेनदारों के नाम पर ओवर-ड्राफ्ट लोन/वाहन लोन/मशीनरी लोन के रूप में बांटे गए.
कमीशन और दूसरे आर्थिक अपराधों के जरिए शुभ्रा ज्योति भराली ने करीबन 30 करोड़ रूपए कमाए. इसके अलावा इस कमाई को शशि कुमार टी कंपनी प्रा. लिमिटेड (एसकेटीसीपीएल) की वित्तीय प्रणाली के साथ मिला दिया गया था. ED ने SKTCPL के 87,70,000 शेयरों की कुल चल संपत्ति के आलावे कुछ और संपत्तियों की पहचान की गई है.