केंद्र ने सहयोगपूर्ण संघवाद को बढ़ावा देने तथा पारदर्शिता लाने के इरादे से राज्यों के लिए खुले बाजार से कर्ज (ओएमबी) लेने के नियमों को आसान बनाया है.
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सरलीकृत व्यवस्था के तहत राज्यों को चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों के लिए उनके उधारी कैलेंडर के आधार पर कर्ज लेने के बारे में एकबारगी सहमित दी जाएगी. उसके बाद कर्ज के ब्योरे तथा पुनर्भुगतान के आकलन के आधार पर चौथी तिमाही के पहले दो महीनों के लिए मंजूरी दी जाएगी. फिर राज्यों के पहले 11 महीनों के वास्तविक कर्ज की पुनर्समीक्षा के बाद वित्त वर्ष के आखिरी महीने मार्च के लिए मंजूरी दी जाएगी.
बयान के अनुसार सहयोगपूर्ण संघवाद बढ़ाने तथा पारदर्शिता लाने के इरादे से केंद्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 293 (3) के तहत ओएमबी के लिए सहमति व्यवस्था को सरल बनाने का फैसला किया है. अब तक प्रत्येक राज्यों को 14वें वित्त आयोग द्वारा निर्धारित फार्मूले के अनुसार शुद्ध उधारी सीमा के अंतर्गत बाजार से कर्ज के लिए तिमाही आधार पर केंद्र सरकार से मंजूरी लेने की आवश्यकता होती थी.