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दीना पाठक की आखिरी फिल्म थी ये, हीरो आखिरी पल तक होता रहा नाराज, लेकिन फ्लॉप फिल्म ने दिला दिया था अवॉर्ड

जब ये फिल्म रिलीज हो रही थी तब इसके लीड स्टार मनोज बाजपेयी इससे काफी नाराज थे. मनोज का नाराजगी सीधे सीधे मेकर्स की एक स्ट्रैटेजी से थी.

दीना पाठक की आखिरी फिल्म थी ये, हीरो आखिरी पल तक होता रहा नाराज, लेकिन फ्लॉप फिल्म ने दिला दिया था अवॉर्ड
दीना पाठक की आखिरी फिल्म थी ये
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नई दिल्ली:

हिंदी सिनेमा के अलावा तेलुगू, तमिल और मराठी फिल्मों से फैंस का दिल जीतने वाली एक्ट्रेस उर्मिला मातोंडकर किसे याद नहीं हैं. एक्ट्रेस उर्मिला मातोंडकर और मनोज बाजपेयी की साल 2003 में रिलीज हुई फिल्म 'पिंजर' ने 22 साल पूरे कर लिए हैं. एक्ट्रेस ने रविवार (26 अक्टूबर) को इंस्टाग्राम पर फिल्म से जुड़ी पुरानी यादों और फोटोज को शेयर किया है. फिल्म के पोस्टर में उर्मिला यानी 'पूरो' मनोज बाजपेयी के साथ दिख रही हैं. उन्होंने कैप्शन में लिखा, "पिंजर ने 22 साल पूरे कर लिए हैं और 'पूरो' हमेशा मेरे दिल में रहेगी.

वहीं मनोज बाजपेयी ने भी फिल्म की पुरानी यादों को ताजा किया और लिखा, "दो दशक और दो साल पहले, 'पिंजर' रिलीज हुई थी और इस फिल्म की मेरे सफर में एक खास जगह है. यह फिल्म किसी भी मुख्यधारा के पुरस्कार के लिए योग्य नहीं थी, लेकिन इसने दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीते, जिनमें मेरा दूसरा पुरस्कार भी शामिल है." एक्टर ने टीम के सभी को-स्टार्स और टीम के बाकी मेंबर्स को दिल से शुक्रिया कहा है.

बता दें कि उर्मिला मातोंडकर और मनोज बाजपेयी स्टारर फिल्म 2003 में रिलीज हुई थी। ये फिल्म अमृता प्रीतम के उपन्यास पिंजर पर आधारित है। फिल्म 1947 में भारत-पाकिस्तान के विभाजन पर बनी है, जिसमें महिलाओं के संघर्ष, विभाजन के समय मानवता और क्रूरता को पर्दे पर दिखाया गया है.

सीडी पर नहीं छपी थी मनोज बाजपेयी की फोटो

निर्माताओं ने फिल्म की सीडी पर मनोज की तस्वीर नहीं छापी थी. इससे वे काफी नाराज थे. उन्हें पता था कि ऐसा बॉक्स ऑफिस पर उनके खराब प्रदर्शन के कारण किया गया था. उनका तर्क था कि वे उर्मिला के साथ फिल्म में मुख्य भूमिका में थे. उन्हें भी बराबर प्रचार मिलना चाहिए था. इस फिल्म से जुड़ी एक और दिलचस्प बात ये है कि ये दीना पाठक की आखिरी फिल्म थी.

फिल्म में उर्मिला मातोंडकर ने 'पूरो' नाम की हिंदू लड़की का किरदार किया है और मनोज बाजपेयी राशिद नाम के मुसलमान व्यक्ति की भूमिका निभाई थी. फिल्म में राशिद और पूरो के परिवार के बीच खानदानी दुश्मनी होती है और दोनों के बीच संपत्ति का विवाद चल रहा था. बदला लेने के लिए पूरो को निशाना बनाया जाता है. विभाजन के समय राशिद पूरो को किडनैप कर लेता है, लेकिन राशिद के मन में पूरो के लिए प्यार है और वह उसे भागने में मदद करता है.

फिल्म की कहानी बहुत मार्मिक है और रिलीज के समय फिल्म को बहुत पसंद किया गया था. फिल्म को बेस्ट फीचर फिल्म कैटेगरी में नेशनल अवॉर्ड भी मिला था. ये फिल्म अमेजन प्राइम पर भी मौजूद है. हालांकि ये फिल्म फ्लॉप रही थी, लेकिन इसकी कहानी को काफी सराहा गया था.

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