ऐसा माना जाता है कि सक्सेसफुल एक्टर्स के बच्चों के लिए फिल्म इंडस्ट्री में पैर जमाना हमेशा आसान होता है. अब इसमें कुछ सच्चाई हो सकती है लेकिन हमेशा ऐसा नहीं था. एक समय था जब कैरेक्ट एक्टर्स के बच्चे भी एक 'आउटसाइडर' जितना ही स्ट्रगल करते थे. ऐसी ही एक कहानी इस पॉपुलर एक्टर की है जिन्होंने हीरो के तौर शुरुआत की लेकिन अपने करियर को रिवाइव करने से पहले सी-ग्रेड फिल्मों के दलदल में गिर गए. किरण कुमार का जन्म 1953 में बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर जीवन के घर हुआ जो हिंदी सिनेमा के इतिहास के सबसे महान विलेन में से एक हैं.
किरण ने अपने करियर की शुरुआत एक चाइल्ड एक्टर के रूप में 'लव इन शिमला' से की थी जब वह सिर्फ 7 साल के थे. एक्टर एक दशक बाद दो 'बूंद पानी' के साथ मैच्योर रोल निभाने के लिए लौटे. उन्होंने कुछ और फिल्मों में लीड रोल निभाए लेकिन पहचान कैरेक्टर रोल तक ही मिली. शुरुआत 1987 में खुदगर्ज से हुई. 90 और 2000 के दशक में उन्होंने मेन लीड एक्टर्स के साथ कई हिट फिल्मों में काम किया. जिनमें अमिताभ बच्चन की खुदा गवाह, शाहरुख खान की अंजाम , सलमान खान की औजार और अक्षय कुमार की धड़कन जैसी फिल्में शामिल हैं.
इस समय किरण कुमार ने खुद को टेलीविजन पर एक लीड एक्टर के तौर पर एस्टैबलिश किया. उन्होंने जिंदगी, घुटन, सारा आकाश, मिली और कई दूसरे हिट शो में काम किया. अपने करियर की शुरुआत में किरण कुमार बी और सी-ग्रेड फिल्में करने के चक्कर में फंस गए. इसकी शुरुआत जंगल में मंगल, जलते बदन, गाल गुलाबी नैन शराबी से हुई. 70 के दशक तक उन्होंने कई ऐसी अश्लील कॉमेडी एक्शन फिल्में कीं जिनमें वो लीड रोल में थे. इसका मतलब यह हुआ कि मेनस्ट्रीम बॉलीवुड में उनके एक्टिंग के मौके खत्म होने लगे. हाल ही में एक इंटरव्यू में एक्टर ने कहा कि जब वह फाइनैंशियली 'बुरे समय' से गुजर रहे थे तो उन्होंने पैसे के लिए ये फिल्में कीं. “मुझे घर बनाने के लिए पैसों की जरूरत थी. मेरे घरों में अकेले खंभों की कीमत 44 लाख रुपये है. मैं पैसे इकट्ठा करता रहा और उन बी और सी-ग्रेड फिल्मों की वजह से अपना घर बनाने में कामयाब हुआ. इसलिए मुझे इसका अफसोस नहीं है.”
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