
हिंदी फिल्मों में हमेशा ही भारतीय त्योहारों की झलक मिलती रही है. कभी किसी गाने में तो किभी किसी सीन के मार्फत कोई न कोई त्योहार बड़े पर्दे पर दिखता रहा है. फिर चाहें वो दिवाली हो या होली हो या फिर ईद ही क्यों न हो. संजय दत्त की भी एक फिल्म में दिवाली से जुड़ा ऐसा ही सीन था. जो त्योहार की खुशियों से ज्यादा संजू बाबा के टशन की वजह से हिट हो गया. इस सीन में संजू बाबा अपनी ही मां को 50 तोले की धौंस दिखाते हैं. इस फिल्म में प्यार है तो एक्शन और वॉयलेंस भी जबरदस्त है. सीन इसलिए भी खास है कि पचास तौला सोना लाकर भी संजू बाबा न खुद सुकून में आते हैं न मां के चेहरे पर खुशी देख पाते हैं.
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रघु के गले में पचास तोले की चेन
साल 1999 में आई फिल्म वास्तव को आज भी लोग याद करते हैं. खासकर उसके उस एक सीन को. जब रघु यानी संजय दत्त दिवाली पर अपने घर लौटता है और मां के सामने सीना चौड़ा करके कहता है, ‘देख ये, पचास तोला!' ये सिर्फ एक डायलॉग नहीं था. बल्कि एक बेटे की टूटी हुई मासूमियत की झलक थी. सोने की चेन चमक रही थी, लेकिन रघु की आंखों में सुकून नहीं था. यही वजह है कि वास्तव आज भी हर पीढ़ी के लिए एक गहरी सीख छोड़ जाती है.
ये पल सिर्फ ड्रैमेटिक ही नहीं था इसमें एक दर्द की भी झलक थी. मां की आंखों में खुशी नहीं, बल्कि डर और बेबसी थी. वो समझ चुकी थी कि उसका बेटा अब वो मासूम रघु नहीं रहा. जो कभी सपनों के पीछे भागता था.
जिंदगी का सबक
फिल्म के अंत में रघु खुद अपनी मां से अपने दुखों को खत्म करने की गुजारिश करता है. ये सीन ऐसा है जो दिलों को हिला देता है. यही वो पल है जब दर्शक समझ जाते हैं कि गलत रास्ते पर मिली ताकत और पैसा आखिरकार खालीपन ही देते हैं. वास्तव सिर्फ एक गैंगस्टर फिल्म नहीं थी, बल्कि एक आईना थी उस पीढ़ी के लिए जो तेज रफ्तार जिंदगी में सब कुछ पाना चाहती थी.
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