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फिल्मों के लिए छोड़ी पुलिस की नौकरी, जो भी कहते बन जाता था डायलॉग, एक्टर जिसने बदल दिए सिनेमा के कायदे कानून

राजकुमार की एक खासियत यह भी थी कि वह अपनी फिल्मों के डायलॉग को लेकर बहुत सख्त थे. अगर उन्हें कोई डायलॉग पसंद नहीं आता था, तो वह कैमरे के सामने ही उसे बदल देते थे. उन्होंने हमेशा अपनी शर्तों पर ही काम किया.

फिल्मों के लिए छोड़ी पुलिस की नौकरी, जो भी कहते बन जाता था डायलॉग, एक्टर जिसने बदल दिए सिनेमा के कायदे कानून
हिंदी सिनेमा पर कभी राज कुमार ने किया था राज
नई दिल्ली:

दिग्गज अभिनेता राजकुमार हिंदी सिनेमा के ऐसे स्टार थे, जिनका नाम आज भी बड़े सम्मान और प्यार से लिया जाता है. वह न सिर्फ अपनी दमदार आवाज और अभिनय के लिए मशहूर थे, बल्कि अपनी बेबाकी और ईमानदारी के लिए भी जाने जाते थे. राजकुमार की एक खासियत यह भी थी कि वह अपनी फिल्मों के डायलॉग को लेकर बहुत सख्त थे. अगर उन्हें कोई डायलॉग पसंद नहीं आता था, तो वह कैमरे के सामने ही उसे बदल देते थे. उन्होंने हमेशा अपनी शर्तों पर ही काम किया.

राजकुमार का जन्म 8 अक्टूबर 1926 को बलूचिस्तान के लोरलाई में एक कश्मीरी पंडित परिवार में हुआ था. उनका असली नाम कुलभूषण पंडित था. उनका परिवार बंबई (अब मुंबई) आ गया था. पहले वह मुंबई पुलिस में सब इंस्पेक्टर की नौकरी करने लगे थे. हालांकि, फिल्म जगत से उनका दिल बहुत पहले ही जुड़ गया था. एक दिन फिल्म निर्माता बलदेव दुबे पुलिस स्टेशन में आए और राजकुमार के स्वाभाविक अंदाज और बातचीत से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उन्हें अपनी फिल्म 'शाही बाजार' में काम करने का मौका दिया. राजकुमार ने तुरंत पुलिस की नौकरी छोड़ दी और फिल्मों की दुनिया में कदम रख दिया.

उनका फिल्मी सफर आसान नहीं था. शुरुआत में उन्होंने कई छोटी-छोटी भूमिकाएं निभाईं. उनकी पहली फिल्म 'रंगीली' 1952 में आई, लेकिन उन्हें असली पहचान मिली 1957 में आई महबूब खान की फिल्म 'मदर इंडिया' से. इस फिल्म में राजकुमार ने किसान का किरदार निभाया, जो दर्शकों के दिलों को छू गया. इसके बाद उन्होंने कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया, जैसे 'हीर रांझा', 'तिरंगा', 'मरते दम तक', 'सौदागर', और 'पाकीजा'. उनकी आवाज, डायलॉग बोलने का अंदाज और अभिनय का तरीका उनकी फिल्मों का खास आकर्षण हुआ करते थे.

राजकुमार की फिल्मों में उनकी बेबाकी का एक और उदाहरण था उनका डायलॉग बदलने का रवैया. कई बार जब उन्हें लगता था कि फिल्म के डायलॉग ठीक नहीं हैं या वह उनकी छवि के अनुकूल नहीं हैं, तो वह सेट पर ही निर्देशक और लेखक से बात करके उन्हें बदलवा लेते थे. वह मानते थे कि कलाकार के पास अधिकार होना चाहिए कि वह अपने किरदार को बेहतर तरीके से निभा सके. यही वजह थी कि उनके डायलॉग्स में एक खास ठसक और दम नजर आता था. राजकुमार की यह ईमानदारी और आत्मविश्वास ही उनकी फिल्मों को यादगार बनाता था.

अपने करियर के दौरान राजकुमार को कई पुरस्कार मिले. उन्होंने फिल्मों में अपने योगदान के लिए अनेक सम्मान पाए, जिनमें कई प्रतिष्ठित फिल्मफेयर पुरस्कार भी शामिल हैं. राजकुमार की एक्टिंग में वह गहराई और सादगी थी, जो उन्हें अपने दौर के सबसे बड़े सितारों में से एक बनाती थी. वह स्क्रीन पर रफ एंड टफ हीरो थे, लेकिन असल जिंदगी में भी उतने ही साफ दिल के इंसान थे.

राजकुमार की जिंदगी में सफलता के साथ कई चुनौतियां भी थीं. उनका आखिरी वक्त गले के कैंसर से जूझते हुए बीता. उन्होंने 3 जुलाई 1996 को 69 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया.

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