विज्ञापन

पीयूष पांडे के निधन पर दुखी प्रसून जोशी, बोले- वो जिंदगी से प्यार करते थे, ये उनके काम में दिखता था

1955 में जयपुर में जन्मे, पांडे अपने परिवार में सात बेटियों और दो बेटों में से एक थे. वह 1982 में ओगिल्वी में क्लाइंट सर्विसिंग एक्जीक्यूटिव के रूप में एड वर्ल्ड में शामिल हुए.

पीयूष पांडे के निधन पर दुखी प्रसून जोशी, बोले- वो जिंदगी से प्यार करते थे, ये उनके काम में दिखता था
पीयूष पांडे का निधन
Social Media
नई दिल्ली:

अपनी क्रिएटिविटी के लिए मशहूर पीयूष पांडे का 70 वर्ष की आयु में निधन हो गया. वह कैडबरी, फेविकोल और एशियन पेंट्स के पॉपुलर कमर्शियल के पर्दे के पीछे के हीरो थे. एडवर्टाइजमेंट इंडस्ट्र्री में लगभग चार दशकों के करियर के दौरान, उन्होंने कई पॉपुलर ब्रांड के साथ काम किया. ऐड फिल्म मेकर प्रह्लाद कक्कड़ से लेकर दिग्गज एक्टर अमिताभ बच्चन तक, पीयूष पांडे को श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा हुआ है. अब, गीतकार और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने पीयूष पांडे के बारे में कुछ संवेदनापूर्ण शब्द लिखे हैं.

उन्होंने कहा, "इस खबर से मुझे बहुत दुख हुआ है. पीयूष पांडे एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें मैं हमेशा याद रखूंगा. वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने हमें यह विश्वास दिलाया कि ऐड वर्ल्ड में मेरे जैसे छोटे शहरों से आने वाले लोगों के लिए भी भरपूर जगह है. पीयूष पांडे उन दूसरे ऐड वर्ल्ड के लोगों से बिल्कुल अलग थे जिनसे मैं एमबीए करते समय मिला था. वह एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें उनके मजेदार काम और दूसरों को इंस्पायर करने के लिए हमेशा याद रखा जाएगा. मैं भाग्यशाली था कि मैंने उनके साथ कई प्रोजेक्ट में काम किया - कैडबरी, एशियन पेंट्स. मेरे साथ काम करने के बाद भी उन्होंने मेरी बहुत सी चीजों की तारीफ की."

उन्होंने आगे कहा, "जब हम पीयूष पांडे के बारे में बात करते हैं, तो एक बात जो हमेशा याद रहेगी, वह है जीवन के लिए उनका प्रेम, व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों ही रूपों में. वह जीवन से प्यार करते थे. वह इसके हर पल का आनंद लेने में विश्वास रखते थे. यह उनके काम में भी झलकता था. उन्हें रोजमर्रा की जिंदगी में हमेशा अच्छी कहानियां मिलती थीं, और वह उन कहानियों को शेयर करना चाहते थे. वह जीवन की कमजोरियों को शेयर करने के लिए इंस्पायर्ड थे, चाहे वह परिवार के साथ उनके रिश्तों के बारे में हो या दोस्तों के साथ. जीवन के लिए उनका प्रेम उनके काम में साफ झलकता है."

"मुझे उनके साथ काम करने का सौभाग्य मिला. उन्होंने मुझे सिखाया कि लोगों के लिए भाषा को कैसे और ज्यादा सुलभ बनाया जाए. वह हमेशा इसके लिए कोशिश करते रहते थे. हम उन्हें, उनके विजन, जीवन के प्रति उनके जुनून और उनकी हंसी को याद करेंगे, जो उनके बारे में सबसे अहम बात थी." 

पीयूष पांडे कौन थे?

1955 में जयपुर में जन्मे, पांडे अपने परिवार में सात बेटियों और दो बेटों में से एक थे. वह 1982 में ओगिल्वी में क्लाइंट सर्विसिंग एक्जीक्यूटिव के रूप में एड वर्ल्ड में शामिल हुए. उन्होंने जो पहला ऐड लिखा वह सनलाइट डिटर्जेंट के लिए था. अपनी क्रिएटिविटी के साथ, वह जल्द ही कंपनी के लिए एक अहम प्रॉपर्टी बन गए. उनकी लीडरशिप में, ओगिल्वी एजेंसी रेकनर में लगातार 12 साल तक बेस्ड ऐड एजेंसी बनी रही.

बहुत कम लोग जानते हैं, लेकिन पीयूष पांडे ने 1988 में देशभक्ति गीत "मिले सुर मेरा तुम्हारा" लिखा था और "भोपाल एक्सप्रेस" की पटकथा के को-राइटर भी थे. वह जॉन अब्राहम की "मद्रास कैफे" (2013) में भी दिखाई दिए और दो किताबें - "पांडेमोनियम" (2015) और "ओपन हाउस विद पीयूष पांडे" (2022) लिखीं.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com