दिल्ली में स्थित राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) एक ऐसा संस्थान है जो पिछले 66 वर्षों से नाटक के विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण देकर हजारों कलाकारों को पारंगत करता आया है. आज NSD से निकले कलाकार नाटक, सिनेमा, टेलीविजन और ओटीटी जैसे प्लेटफॉर्म पर अपनी कला का लोहा मनवा रहे हैं. नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, पंकज त्रिपाठी, आशुतोष राणा जैसे कितने ही दिग्गज कलाकार इस संस्थान से निकले और देश-विदेश में नाम कमाया.
ये भी पढ़ें: 'धुरंधर' से पहले जान लीजिए रणवीर सिंह की पिछली 10 फिल्मों का हाल, किसने मचाया धमाल और किसका हुआ हाल बेहाल
देश के विभिन्न शहरों में अब तक NSD की छह शाखाएं थीं और अब सातवीं शाखा मायानगरी मुंबई में खुल गई है. फिल्म सिटी मुंबई में फिलहाल एक साल का अभिनय कोर्स शुरू किया गया है, जिसकी फीस केवल 173 रुपए प्रति घंटा है. यहां 12 घंटे की क्लासेज महीने में करीब 20 दिन चलेंगी यानी साल भर का खर्च करीब 5 लाख रुपए होगा.
NSD के निदेशक चितरंजन त्रिपाठी से जब पूछा गया कि दिल्ली में NSD में 3 साल का कोर्स होता है, तो क्या उन्हें लगता है कि एक साल की ट्रेनिंग काफी रहेगी? इस पर उन्होंने जवाब दिया, “कहने को हम दिन में 12 घंटे की क्लासेज ले रहे हैं, पर छात्र उसके बाद भी घर जाकर अभिनय में ही डूबा रहेगा. हम उसके अंदर अभिनय का कीड़ा जगा देते हैं. फिर वो यहां रहे या कहीं और, वो उस पर काम करता रहता है. इसके अलावा यह छात्रों की क्षमता पर भी निर्भर करता है कुछ लोग 6 महीने में सीख जाते हैं, कुछ को साल भर और कुछ सालों-साल सीखते रहते हैं.”
वहीं, NSD से निकले वरिष्ठ अभिनेता मनोज जोशी से जब पूछा गया कि अगर उनके जमाने में मुंबई में NSD खुल गया होता तो क्या फायदे होते, उन्होंने कहा, “पहले लोगों को गंगा घाट पर जाना पड़ता था, आज गंगा तुम्हारे द्वार पर आई है. कला या अभिनय के क्षेत्र में जितने भी लोग हैं, वो सब NSD में पढ़ना चाहते हैं, पर सीटें सिर्फ 26 हैं. कई कलाकार मुंबई में काम कर रहे हैं, पर उन्हें भी सीखने की जरूरत होती है. अगर वो यहाँ आएँगे, तो देश की बेहतरीन संस्था में आकर उनका हुनर और निखरेगा.”
अब तक NSD नाटक और उसकी तकनीक पर केंद्रित था, लेकिन समय की माँग के मुताबिक अब यह फिल्म में अभिनय की तकनीक पर भी विशेष ध्यान देगा. पहले NSD से निकलकर फिल्मों में काम करने के इच्छुक छात्र पुणे के FTII जाकर प्रशिक्षण लेते थे. पर अब मुंबई में इस ब्रांच के खुलने का बड़ा फायदा यह होगा कि यहां कैमरे के सामने अभिनय की तकनीक सिखाई जाएगी. इस पर बोलते हुए चितरंजन त्रिपाठी ने कहा, “जो एक्टर नहीं है, उसे कैमरे का लेंस एक्टर नहीं बना सकता. पर जब आपको अभिनय आता है, तब लेंस की इकॉनमी यानी कैमरे के सामने कितने हावभाव देने हैं इस दिशा में भी हम प्रशिक्षण देंगे.”
नाटक और सिनेमा दो अलग माध्यम हैं और इनकी तकनीक में फर्क होने के कारण नाटक से आए अभिनेताओं को संघर्ष करना पड़ता था. लेकिन NSD की इस पहल से छात्र न सिर्फ सिनेमा की तकनीक सीखेंगे, बल्कि मुंबई जैसे शहर के अनुभव, नेटवर्किंग और मानसिक तौर पर संघर्ष के लिए भी तैयार हो पाएंगे.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं