बॉलीवुड एक्टर मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee) आज किसी पहचान के मोहताज नहीं है. बिहार के एक छोटे से गांव निकलकर मायानगरी में उन्होंने अपनी दमदार पहचान बनाई है और युवा कलाकारों को प्रेरित किया है. हाल ही में रिलीज हुई अमेजन प्राइम वीडियो की वेब सीरीज 'द फैमिली मैन' के दोनों सीजन से वो पूरी दुनिया में मशहूर हुए हैं. 'द फैमिली मैन' के श्रीकांत तिवारी यानी मनोज बाजपेयी ने फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जर्नी के बारे में एनडीटीवी इंडिया से खास बातचीत की है. उन्होंने इस दौरान फिल्म इंडस्ट्री में अपने संघर्ष और कामयाबी की जर्नी पर खुलकर बातचीत की.
आसान नहीं रहा फिल्मी सफर
मनोज बाजपेयी ने अपनी जर्नी को लेकर कहा, "जब आप गांव से निकलते हैं तो आपका मकसद ये नहीं होता कि आपको सिर्फ अपनी मंजिल पर पहुंचना है. आपको पूरी तरह से वातावरण में ढलना होता है, जो कि मुश्किल होता है. मैं हमेशा स चाहता था कि उस शहर की पूरी संस्कृति और भाषा को अपनाया जाए."
भीखू म्हात्रे से फैमिली मैन के श्रीकांत तिवारी तक
मनोज बाजपेयी ने अपनी लंबी जर्नी पर कहा, "यहां तक पहुंचने के लिए काफी संघर्ष किया है. मैं रंगमंच की दुनिया से आया था. मैं उस लाइन में खड़ा था, जहां शुरू से शुरुआत करनी थी. फिर मुझे राम गोपाल वर्मा की सत्या मिली. अच्छी बात यह रही कि फिल्म ने इतिहास रचा और मेरी जर्नी चल निकली. मैं चाहता था नए विषयों पर काम करूं. बहुत समय लगा इंडस्ट्री में खुद को स्थापित करने में."
भरोसेमंद कैरेक्टर को यूं निभाते हैं मनोज बाजपेयी
मनोज बाजपेयी ने फिल्मों में अपने भरोसेमंद कैरेक्टर को लेकर कहा, "तैयारी उसी तरीके से करता हूं जैसा रंगममच में सीख कर आया था. किरदार के बैकस्टोरी पर खूब काम करता हूं. मेरे लिए बहुत जरूरी है कि वो कैरेक्टर हमारे बीच का लगे. अगर ऐसा नहीं होगा तो दर्शक उसे छोड़ देंगे. दर्शकों के दिमाग से निकल जाएगा कैरेक्टर जो मैं नहीं चाहता."
वेब सीरीज, सीरियल और फिल्मों में अंतर
मनोज बाजपेयी ने कहा कि सीरियल 'स्वामिमान' में पता था कि कैरेक्टर क्या है. उसमें एडवांटेज है कि गलतियों को अगले एपिसोड में पूरा कर सकते हैं. ओटीटी की सीरीज तीन फिल्मों के बराबर होती है क्योंकि लगभग इसमें 9-10 पार्ट होते हैं. सब फिल्मों की ही तरह है, लेकिन वो ओटीटी पर आ रहा है. यहां गलतियों पर माफी नहीं मिलती सीरियल की तरह.
सिनेमाघर बंद, ओटीटी नया प्लेटफॉर्म
मनोज बाजपेयी ने दोबारा सिनेमाघर खुलने को लेकर कहा कि थियेटर कभी तो खुलेंगे. जब कोरोना जाएगा तो सिनेमा के साथ-साथ समाज को भी बदल देगा. लोगों की और फिल्म निर्माण करने वालों की मानसिकता बदल जाएगी. सब कुछ अब पहले की तरह नहीं रहने वाला है.
ओटीटी पर गालियों को लेकर शिकायत
ओटीटी में गालियों को लेकर मनोज वाजपेयी बोले शिकायत जायज है. सिनेमाप्रेमी होने के नाते जवाब देना मेरी जिम्मेदारी है. सबसे बड़ा सेंसर मां-बाप होते हैं. किसी भी चीज को बंद करना ऊपाय नहीं है. मैंने भी देखा कि गालियों के बिना भी काम चल सकता है. लेकिन जहां जरूरी हो वहां होना भी चाहिए. शूटिंग के दौरान एक-एक गाली पर लंबी बहस होती है. सारे कैरेक्टर समाज से ही आते हैं. और ये गाली भी देते हैं. मुझे नहीं लगता कोई भी समाज ऐसा होगा जहां गाली नहीं चलती.
नए प्रोजेक्ट्स के बारे में
मनोज बाजपेयी ने अपने आगामी प्रोजेक्ट्स के बारे में बताया कि जल्द उनकी 'डायल 100' जी5 पर आ रही हैं. इसके ट्रेलर को खूब पसंद किया जा रहा है. ये फिल्म माता-पिता जरूर देखें. यह बहुत अच्छी थ्रिलर होने के साथ-साथ सबक भी देती है.
चुनाव लड़ने पर
मनोज बाजपेयी ने चुनाव लड़ने पर के सवाल का जवाब भोजपुरी स्टाइल में दिया. उन्होंने कहा, 'बड़ा दिल लाहल एइजा पहुंचे में. इहो खत्म करवाइबा का.' आपके प्यार के कारण यहां तक पहुंचे हैं. नए लोगों को राजनीति में आना चाहिए. मैं कभी भी इस क्षेत्र में आने के लिए सोच नहीं पाता. सामाजिक कार्य करने के लिए दौड़ा चला आता हूं. लेकिन मैं सोचता हूं कि मैं राजनीति के लायक नहीं हूं.
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