70 के दशक से तमिल सिनेमा पर राज करने वाले कमल हासन को उनकी एक्टिंग और चुनिंदा फिल्मों के लिए सुपरस्टार माना जाता है. बेहद कम उम्र में उन्होंने एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा और देखते ही देखते साउथ के सबसे बड़े नामों में शामिल हो गए. उनकी लोकप्रियता इतनी बढ़ी कि जल्द ही हिंदी सिनेमा से भी उन्हें ऑफर आने लगे. 1981 में रति अग्निहोत्री के साथ आई उनकी फिल्म ‘एक दूजे के लिए' ने जबरदस्त सफलता हासिल की और कमल हासन ने बॉलीवुड में धमाकेदार एंट्री की.
'एक दूजे के लिए' से बनाया खास मुकाम
कमल हासन की हिंदी डेब्यू फिल्म उनकी ही तेलुगु हिट ‘मारो चरित्र' का रीमेक थी, लेकिन इसका असर दोगुना रहा. रोमांटिक कहानी और उनके शानदार एक्टिंग ने दर्शकों का दिल जीत लिया. फिल्म ब्लॉकबस्टर साबित हुई और हर कोई इस साउथ स्टार को लेकर उत्साहित था. इसके बाद उन्होंने ‘सनम तेरी कसम', ‘सदमा', ‘सागर' जैसी कुछ और फिल्में कीं, लेकिन तमिल फिल्मों की व्यस्तता के चलते हिंदी सिनेमा में उनकी मौजूदगी सीमित रह गई.
स्क्रिप्ट मांगी तो नाराज हो गए मनमोहन देसाई
कमल हासन ने एक इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने फिल्ममेकर मनमोहन देसाई से ‘अल्लाह रक्खा' की स्क्रिप्ट देखने की मांग की थी. इस पर देसाई साहब काफी नाराज हो गए. कमल हासन के मुताबिक, 'उन्होंने मुझसे कहा कि अमिताभ बच्चन भी स्क्रिप्ट नहीं मांगते'. कमल का कहना था कि उनका मकसद सिर्फ कहानी समझना था, किसी का अपमान नहीं करना. लेकिन इस घटना के बाद उन्होंने महसूस किया कि हिंदी सिनेमा का काम करने का तरीका उनसे थोड़ा अलग है. और शायद यही वो मोड़ था जब उन्होंने बॉलीवुड को अलविदा कह दिया.
‘मैं एक वक्त में एक ही फिल्म करता हूं'
कमल हासन ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वो एक फिल्म पूरी किए बिना दूसरी शुरू नहीं करते. उनके अनुसार, 'मैं उसी तरह काम करता हूं, धीरे, डिटेल में और पूरी लगन से. हिंदी फिल्मों का प्रोसेस लंबा होता है, और जब तक एक फिल्म खत्म होती है, डेढ़ साल निकल जाता है. इस दौरान आप इंडस्ट्री से कट जाते हैं और बहुत मौके मिस हो जाते हैं'. शायद यही वजह थी कि उनकी शानदार शुरुआत के बावजूद वो बॉलीवुड में बड़े स्टार के रूप में नहीं उभर पाए.
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