हॉरर फिल्में देखने का अपना मजा है. फिर मौसम अगर कड़ाके की सर्दी का हो और घर के बाहर कोहरा तैर रहा हो तो ऐसे में हॉरर मूवी देखने का मजा दोगुना हो जाता है. हम यहां आपके साथ एक ऐसी ही हॉरर फिल्म की बात करने जा रहे हैं जो लगभग 47 साल पहले रिलीज हुई थी और इसका हर सीन आपको रहस्य-रोमांच की दुनिया में ले जाता है. 47 साल पहले जब ये फिल्म शूट हुई तो इसके मेकर्स को नहीं पता था कि ये एक बड़ी फ्रेंचाइजी में तब्दील होने जा रही है और इस सीरीज की अब तक लगभग 13 फिल्में आ चुकी हैं. आइए जानते हैं ये कौन सी हॉरर की दुनिया है और इसमें क्या खास था जो दर्शक 47 साल बाद भी इसकी दीवानगी में उलझे हैं और इसके पहले पार्ट के बारे में कुछ खास ट्रिविया भी...
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47 साल पहले खुली हॉरर की नई दुनिया
हॉलीवुड की हॉरर फिल्मों की दुनिया में एक नाम ऐसा है जो आज भी रातों की नींद उड़ा देता है, ये है हैलोवीन (1978). जॉन कारपेंटरक की ये मास्टरपीस कल्ट क्लासिक बन चुकी है, और यकीन मानिए, ये फिल्म इतनी लो-बजट थी कि इसके पीछे की कहानियां खुद एक हॉरर स्टोरी लगती हैं. सिर्फ 3 लाख डॉलर (आज के हिसाब से करीब 13 लाख डॉलर) के बजट में बनी ये फिल्म ने दुनिया भर में 70 मिलियन डॉलर कमाए. लेकिन सबसे मजेदार बात ये कि इसे महज 20 दिन में शूट किया गया था, और क्रू में मुश्किल से 12-15 लोग ही थे. ज्यादातर जॉन कारपेंटर के दोस्त और फिल्म स्कूल के स्टूडेंट्स.
क्या थी फिल्म की कहानी?
कहानी शुरू होती है माइकल मायर्स से, जो 6 साल की उम्र में अपनी बहन का कत्ल कर देता है. 15 साल बाद वो मेंटल हॉस्पिटल से भागकर अपनी छोटी बहन लॉरी स्ट्रोड (जेमी ली कर्टिस) को निशाना बनाता है. हैलोवीन की रात, मास्क पहने ये साइलेंट किलर चाकू लेकर घूमता है, और दर्शकों की धड़कनें रोक देता है. इस फिल्म को स्लैशर जॉनर की बुनियाद माना जाता है. अब आते हैं सबसे मजेदार फैक्ट पर, कत्ल की वो डरावनी आवाजें. बजट इतना टाइट था कि स्पेशल साउंड इफेक्ट्स के लिए पैसे नहीं थे. जॉन कारपेंटर और उनकी छोटी सी टीम ने क्या किया? एक तरबूज लिया और उसमें बार-बार चाकू घोंपा. जी हां, माइकल मायर्स के चाकू घोंपने की वो खौफनाक आवाज असल में तरबूज में चाकूं घोंपने की आवाज की रिकॉर्डिंग थी.
माइकल का मास्क?
वो भी सिर्फ 2 डॉलर का कैप्टन किर्क मास्क था, जिसे पेंट करके भूतिया बनाया गया. शूटिंग बसंत के मौसम में हुई, तो हैलोवीन के लिए फेक पत्तियां इस्तेमाल कीं और उन्हें बार-बार रीयूज किया. जेमी ली कर्टिस की ये डेब्यू फिल्म थी, और उनकी मां जेनेट ली 'साइको' मूवी में नजर आई थीं – हॉरर का परफेक्ट फैमिली कनेक्शन!
आज 47 साल बाद भी 'हैलोवीन' स्लैशर फिल्मों की क्वीन है. फ्राइडे द 13th और स्कीरन सब इसी से इंस्पायर्ड हैं. ये फिल्म साबित करती है कि डर पैसों से नहीं, क्रिएटिविटी से पैदा होता है.
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