 
                                            - Dalda13 के नाम से थीं होमी व्यारावाला
- गूगल ने होमी व्यारावाला को उनकी 104वीं जयंती पर डूडल बनाकर श्रद्धांजलि दी
- गूगल ने उन्हें ‘फर्स्ट लेडी ऑफ द लेंस’ के तौर पर सम्मानित किया
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                                                                                नई दिल्ली: 
                                        गूगल ने होमी व्यारावाला को उनकी 104वीं जयंती पर डूडल बनाकर श्रद्धांजलि दी है. आज पूरी दुनिया Google Doodle के जरिये उन्हें याद कर रही है. गूगल ने उन्हें ‘फर्स्ट लेडी ऑफ द लेंस’ के तौर पर सम्मानित किया है. भारत की यह पहली महिला फोटो जर्नलिस्ट हमेशा छद्म नाम से फोटोग्राफी करती रहीं. होमी व्यारावाला ‘Dalda 13’ के नाम से अपनी तस्वीरें छपवाती थीं, उनकी अधिकतर तस्वीरें इसी नाम से प्रकाशित हुई हैं. इसके पीछे बहुत ही दिलचस्प वजह है. उनका जन्म 1913 में हुआ था और वे अपने पति से 13 साल की उम्र में मिली थी. उनकी पहली कार का नंबर भी DLD 13 था. इसलिए उन्होंने फोटोग्राफी के लिए उन्होंने अपना ‘Dalda 13’ रख लिया. वे इस नाम से फेमस हो गईं.
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व्यारावाला का जन्म 13 दिसम्बर 1913 को नवसारी गुजरात में मध्य वर्ग पारसी परिवार में होमी हाथीराम के रूप में हुआ. उनके पिता पारसी उर्दू थियेटर में अभिनेता थे. उन्होंने फोटोग्राफी अपने दोस्त मानेकशां व्यारवाला से और बाद में जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट से सीखी. गुजरात के नवसारी में एक पारसी मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मी व्यारावाला ने 1930 में फोटोग्राफी के क्षेत्र में प्रवेश किया था.
VIDEO: 372 करोड़ रुपये में बिका होमी भाभा का बंगला
होमी व्यारावाला ने 1970 में पेशेवर फोटोग्राफी छोड़ दी थी. वर्ष 2011 में उन्हें भारत सरकार ने पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया था. उनकी पहली तस्वीर बोम्बे क्रोनिकल में प्रकाशित हुई जिसमें उन्हें प्रत्येक फोटो के लिए एक रुपया मिला था. दूसरे विश्वयुद्ध के हमले के बाद, उन्होंने इलेस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया मैगजीन के लिए काम शुरू किया, जो 1970 तक चला.
                                                                        
                                    
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व्यारावाला का जन्म 13 दिसम्बर 1913 को नवसारी गुजरात में मध्य वर्ग पारसी परिवार में होमी हाथीराम के रूप में हुआ. उनके पिता पारसी उर्दू थियेटर में अभिनेता थे. उन्होंने फोटोग्राफी अपने दोस्त मानेकशां व्यारवाला से और बाद में जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट से सीखी. गुजरात के नवसारी में एक पारसी मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मी व्यारावाला ने 1930 में फोटोग्राफी के क्षेत्र में प्रवेश किया था.
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होमी व्यारावाला ने 1970 में पेशेवर फोटोग्राफी छोड़ दी थी. वर्ष 2011 में उन्हें भारत सरकार ने पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया था. उनकी पहली तस्वीर बोम्बे क्रोनिकल में प्रकाशित हुई जिसमें उन्हें प्रत्येक फोटो के लिए एक रुपया मिला था. दूसरे विश्वयुद्ध के हमले के बाद, उन्होंने इलेस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया मैगजीन के लिए काम शुरू किया, जो 1970 तक चला.
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