राजामौली की मचअवेटेड फिल्म वाराणसी की एक झलक रिवील कर दी गई है. इस लॉन्च इवेंट में सितारों का जमावड़ा था और एक चीज जिसने सभी का दिल जीता वो थी फिल्म की पहली झलक में महेश बाबू की एंट्री. रामायण को छूते हुए वाराणसी में एंट्री लेती फिल्म की कहानी काफी रोमांचक दिख रही है और साथ ही एक्साइटमेंट पैदा करता है महेश बाबू का किरदार. ना जाने ये किरदार अपने साथ कितनी परतें लेकर आ रहा है लेकिन फिलहाल जो परत खुली है उसका एक कनेक्शन भी है. जी हां भले ही आपको महेश बाबू की बैल पर एंट्री बड़ी ही धांसू लग रही हो लेकिन इस खतरनाक स्टंट को कई साल पहले साउथ के ही एक स्टार अंजाम दे चुके हैं और वो भी बिना वीएफएक्स और एडिटिंग के. जी हां बिल्कुल असली बैल और असली एक्शन.
किस फिल्म में किस स्टार ने किया था बैल की सवारी का खतरनाक स्टंट
महेश बाबू का वीडियो यूट्यूब पर आने के बाद सोशल मीडिया पर कमल हासन का एक पुराना वीडियो क्लिप वायरल होने लगा. ये कमल हासन की फिल्म मरुधा नायगम का है जो कि कभी रिलीज नहीं हो पाई. 90 के दशक की इस फिल्म में कमल हासन लीड रोल में थे.
कमल हासन का अधूरा मास्टरपीस
कमल हासन की ड्रीम प्रोजेक्ट ‘मरुधानायगम' आज भी अधूरी है. इस फिल्म की चर्चा वे समय-समय पर करते रहते हैं. इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक स्क्रीन को दिए एक इंटरव्यू में कमल ने बताया कि फिल्म की शुरुआत में ही 20 करोड़ रुपये खर्च हो चुके थे. ‘मरुधानायगम' को उन्होंने लेखक सुजाता के साथ मिलकर लिखा और अपनी कंपनी राज कमल फिल्म्स इंटरनेशनल के बैनर तले बनाया. राजस्थान में टेस्ट शूट के लिए ही 1 करोड़ रुपये लगे. कमल ने कहा, “यह कहानी ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है, जिसमें कल्पना का पुट कम है.”
No Computer Graphics ! With guts #Kamal Sir has done it real in early 90s #Marudhanayagam . pic.twitter.com/4vQiad4Fov
— GLC25E4400 MNM (@PLCBABU) November 16, 2025
एक योद्धा की अनोखी कहानी
कमल ने बताया, “मरुधानायगम की कहानी को तीन पार्ट में बनाया जा सकता था, लेकिन इसका ऐतिहासिक महत्व बनाए रखना जरूरी था. ‘गुना' (1991) के बाद मैं कुछ अलग करना चाहता था. मरुधानायगम का किरदार मेरे मन में इस कदर बसा कि मैं इसे अपनी जिंदगी से जोड़ने लगा.” उन्होंने कहा कि यह योद्धा उनके गृह जिले रामनाथपुरम से था. “मैंने अपने खान-पान पर कंट्रोल रखा, अब सिर्फ फल, सब्जियां और अंडे खाता हूं. एक फिल्ममेकर के रूप में मुझे लगता है कि यह फिल्म सही समय पर बननी चाहिए. दर्शकों को समझने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप वह फिल्म बनाएं, जो आप खुद देखना चाहें.”
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