अमरीश पुरी से पहले इस खतरनाक विलेन को देख डर जाते थे लोग, पर्दे पर देता था ऐसी मौत, थर्रा जाते थे लोग, पढ़ें अजीत के स्ट्रेगल की दास्तान

अजीत खान के डायलॉग्स के आगे बड़े-बड़े हीरो की एक्टिंग फीकी पड़ जाती थी. उन्होंने अपने निगेटिव रोल का जो असर दर्शकों पर डाला, उनकी हर फिल्म देखने के लिए लाइन लग जाती थी, लेकिन यहां तक का सफर उनके लिए आसान भी नहीं था.

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रोने पर मजबूर कर देगी बॉलीवुड के सबसे फेमस विलेन की स्टोरी

नई दिल्ली:

बॉलीवुड में 1945 से 1995 तक सिर्फ एक विलन का सिक्का चलता था अजीत खान...रील लाइफ से हटके उनकी रियल लाइफ काफी संघर्षों से भरी रही है. जिंदगी के उतार-चढ़ाव और गरीबी से लड़कर उन्होंने फिल्मों तक का सफर तय किया और अपनी एक अलग ही पहचान बनाई. हैदराबाद के गोलकुंडा के एक मुस्लिम परिवार में अजीत खान का जन्म 27 जनवरी, 1922 को हुआ था. माता-पिता ने उनका नाम हामिद अली खान रखा था. उस गली से निकलकर सबसे दमदार विलेन बनने तक की राह अजीत के लिए बिल्कुल भी आसान नहीं थी. अजीत खान अपने अंतिम दिनों में हैदराबाद में ही रहें. 22 अक्टूबर, 1998 को उनका निधन हो गया था. तब उनकी उम्र 76 साल ही थी. आइए जानते हैं अजीत खान की लाइफ के दिलचस्प किस्से...

हीरो बनकर बॉलीवुड में एंट्री

अजीत खान का फिल्मों तक पहुंचने का सफर इतना भी आसान नहीं था. काफी स्ट्रगल के बाद उनके करियर की शुरुआत हुई. उन्होंने फिल्मों में हीरो बनकर एंट्री ली लेकिन उन्हें जो पहचान मिली वो एक विलेन के तौर पर. दर्शकों ने उनकी एक्टिंग को हाथों-हाथ लिया और बैक-टू-बैक उनकी कई फिल्मों ने बॉक्स-ऑफिस पर जलवा बिखेर दिया. फिल्मों में आने से पहले हामिद अली खान ने अपना नाम बदलकर 'अजीत' रख लिया था. ऐसा उन्होंने अपना नाम बड़ा होने के चलते किया था. 

घर छोड़कर मुंबई भाग आए थे अजीत खान

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अजीत पर बचपन से ही एक्टर बनने का जुनून सवार था. अपने इसी सपने को पूरा करने वे घर से भाग निकले थे और मुंबई में रहना शुरू कर दिया था. पैसे नहीं थे तो किताबें तक बेच दी थी. कहा जाता है कि मुंबई में उनके पास रहने के लिए कोई जगह नहीं थी, तब वो सीमेंट से बनी पाइपों में रहने लगे. तब लोकल गुंडे उन पाइपों में रहने वालों से हफ्ता वसूलते थे और पैसे देने से इनकार करने पर उसे मारकर वहां से भगा देते थे. एक दिन इससे तंग आकर अजीत खान को गुस्सा आ गया और वे गुंड़ों से भिड़ गए. उनके आगे एक भी गुंड़ा टिक नहीं पाया और वहां से भाग खड़े हुए. जिसके बाद वहां रहने वालों में उनकी धमक जम गई.