
लीजेंड्री कॉमिक एक्टर असरानी, जिनका 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया, ने एक बार अश्लील कॉमेडी फिल्म ‘मस्तीजादे' में काम करने को लेकर अफसोस जताया था और हिंदी फिल्मों में बढ़ती अश्लीलता पर दुख व्यक्त किया था. उनका मानना था कि फैमिली सेंटर्ड ऑडियंस आखिरकार ऐसी अश्लीलता को नकार देंगे. असरानी के ‘शोले' में निभाए गए किरदार को 50 साल बाद भी याद किया जाता है. असरानी ने एक बार हिंदी कॉमेडी फिल्मों में बढ़ती अश्लीलता के बारे में बात करते हुए खुलासा किया था कि उन्हें सनी लियोनी स्टारर एक ऐसी फिल्म का हिस्सा बनने का पछतावा है.
मस्तीजादे में थे असरानी
2016 में पीटीआई के साथ बातचीत में असरानी ने कहा, “महमूद साहब ने डबल मीनिंग डायलॉग का इस्तेमाल शुरू किया था और उनमें से कुछ सफल रहे, इसलिए दूसरों ने इस फॉर्मूले को भुनाने की कोशिश की. तब यह डबल मीनिंग था, लेकिन अब यह अश्लील हो गया है, अब बस कपड़े उतारने की बात बाकी रह गई है.”
आगे बताते हुए उन्होंने 2016 की अश्लील कॉमेडी फिल्म मस्तीजादे में काम करने के एक्सपीरियंस को याद किया. “यह टेरिबल और शर्मनाक है (आजकल फिल्मों में अश्लीलता). मुझे नहीं पता था कि फिल्म इस तरह बनाई जाएगी.” उन्होंने कहा.
फैमिली ऑडियंस में यकीन
असरानी का मानना था कि दर्शक आखिर में फैमिली वैल्यू पर आधारित सिनेमा की तरफ लौटेंगे. उन्होंने कहा, “लोग अब समझने लगे हैं, मल्टीप्लेक्स जाने वाले दर्शक कहते हैं कि हमें यह अश्लीलता पसंद नहीं है और यह दौर जल्द ही खत्म हो जाएगा. यह लंबे समय तक नहीं चलेगा क्योंकि मूल रूप से हम भारतीय परिवार-केंद्रित लोग हैं.”
अपने शोले के जेलर वाले किरदार की पॉपुलैरिटी पर बात करते हुए असरानी ने इस साल की शुरुआत में बीबीसी को बताया, “जैसा कि शोले ने 50 साल पूरे किए, मैं आपको बता सकता हूं ऐसा कोई समारोह या इवेंट नहीं हुआ जहां मुझसे उन डायलॉग्स को दोहराने के लिए न कहा गया हो. यह सब सिप्पी साहब के डायरेक्शन और सलीम-जावेद की लेखनी की वजह से है. मुझे एक किरदार की तैयारी करने का मौका मिला, और यह कितना बड़ा सबक था. मैं रमेश सिप्पी साहब को सलाम करता हूं, मैं सलीम-जावेद साहब को सलाम करता हूं. 50 साल बाद भी लोग उस किरदार और उन डायलॉग्स को दिल से याद करते हैं.”
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं