बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन और डायलॉग किंग कादर खान की जोड़ी ने 1978 की सुपरहिट फिल्म 'मुकद्दर का सिकंदर' को अमर बना दिया. फिल्म का वो आइकॉनिक सीन, जहां अमिताभ स्टेज पर ‘ओ साथी रे' गाने से पहले भावुक स्पीच देते हैं, आज भी दर्शकों के दिलों में जिंदा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये 16 पन्नों का लंबा डायलॉग कादर खान की जिंदगी के दर्द पर आधारित था और अमिताभ ने इसे करने से पहले साफ इनकार कर दिया था? जी हां, ये एकदम सच है. आइए जानते हैं 'मुकद्दर का सिकंदर' फिल्म से जुड़ा ये किस्सा है क्या?
निर्देशक प्रकाश मेहरा की इस फिल्म के डायलॉग कादर खान ने लिखे थे. फिल्म को स्पीच सीन लिखते वक्त कादर अपनी निजी जिंदगी के दर्द को कागज पर उतारते चले गए. नतीजा? पूरा सीन 16 पन्नों तक फैल गया. जब कादर ने ये डायलॉग प्रकाश मेहरा को सौंपे, तो मेहरा भी चौंक गए. आईएमडीबी के मुताबिक, अमिताभ को दिखाया गया तो बिग बी ने तुरंत मना कर दिया.
अमिताभ का तर्क था, 'इतना लंबा डायलॉग याद करना और बोलना नामुमकिन है.' प्रकाश मेहरा ने भी सहमति जताई कि सीन बहुत लंबा हो गया है. लेकिन कहानी यहीं नहीं रुकी. अमिताभ ने अपनी कार कादर खान को लाने भेजी. दोनों की मुलाकात हुई तो बिग बी ने दो टूक कहा, 'कादर साहब, 16 पेज? मैं ये नहीं कर पाऊंगा.'
कादर खान ने पेपर उठाया और खुद ही वो पूरा डायलॉग आंसुओं भरी आंखों से बोलना शुरू कर दिया. वो हर शब्द में अपनी जिंदगी का दर्द समेटे थे. अमिताभ स्तब्ध रह गए. कादर ने बताया कि ये शब्द सिर्फ फिल्म के लिए नहीं, उनकी अपनी तकलीफों की अभिव्यक्ति हैं. ये सुनकर अमिताभ भावुक हो उठे. उन्होंने कादर खान को गले लगा लिया और कहा, 'ये सीन वैसा ही रहेगा, जैसा आपने लिखा है.'
आखिरकार, अमिताभ ने वो 16 पन्नों का डायलॉग याद किया और परफेक्टली परदे पर उतारा. मुकद्दर का सिकंदर उस साल की सबसे बड़ी हिट बनी. कादर खान के इस डायलॉग ने न सिर्फ फिल्म को गहराई दी, बल्कि बॉलीवुड में इमोशनल डायलॉग्स की नई मिसाल कायम की.
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