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10 जुलाई 2015 भारतीय सिनेमा को वो तारीख जिसने बदल दी फिल्मों की दुनिया, जिसके आगे फीकी पड़ी बॉलीवुड की चमक

Baahubali on 10 July 2015: हिंदी सिनेमा का एक समय सिक्का चलता था. लेकिन 10 जुलाई 2015 वो तारीख है जिसने रीजनल कहे जाने वाले सिनेमा को ग्लोबल सिनेमा में तब्दील कर दिया.

10 जुलाई 2015 भारतीय सिनेमा को वो तारीख जिसने बदल दी फिल्मों की दुनिया, जिसके आगे फीकी पड़ी बॉलीवुड की चमक
10 जुलाई 2015 ने कैसे बदली भारतीय सिनेमा की दुनिया?
  • एस.एस. राजामौली की फिल्म Baahubali: The Begining ने भारतीय सिनेमा में 10 जुलाई 2015 को एक नया युग शुरू किया और दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींचा.
  • Baahubali ने दक्षिण भारतीय सिनेमा को वैश्विक मंच पर स्थापित करते हुए बॉलीवुड और क्षेत्रीय फिल्मों के बीच की दीवार को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया.
  • Baahubali तेलुगु में बनी और हिंदी, तमिल, कन्नड़ तथा मलयालम में डब होकर पूरे भारत में लाखों दर्शकों तक पहुंची.
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नई दिल्ली:

10 जुलाई 2015, भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक ऐतिहासिक तारीख के रूप में दर्ज है. ये वो दिन है जिस दिन एस.एस. राजामौली की फिल्म 'बाहुबली: द बिगिनिंग' रिलीज हुई और इसने सिनेमाघरों तक आने के लिए दर्शकों को मजबूर कर दिया. इस फिल्म ने भारतीय सिनेमा की दशा और दिशा ही बदल डाली. इस फिल्म ने बॉलीवुड की चमक को फीका कर दक्षिण भारतीय सिनेमा को वैश्विक मंच पर स्थापित किया. ‘बाहुबली' की रिलीज से पहले, भारतीय सिनेमा में क्षेत्रीय और बॉलीवुड फिल्मों के बीच एक बड़ी दीवार थी. एस.एस. राजामौली की बाहुबली द बिगिनिंग ने उस दीवार को ध्वस्त कर दिया.

बाहुबली ने रीजनल को बनाया ग्लोबल 

बॉलीवुड को हिंदी सिनेमा का पर्याय माना जाता था, जबकि दक्षिण की फिल्में 'क्षेत्रीय' कहलाकर सीमित दर्शकों तक रह जाती थीं. लेकिन 'बाहुबली' ने इस मिथक को तोड़ दिया. तेलुगु में बनी इस फिल्म को हिंदी, तमिल, कन्नड़ और मलयालम में डब किया गया, जिसने इसे पूरे भारत में एक साथ लाखों दिलों तक पहुंचाया. प्रभास, राणा दग्गुबाती और अनुष्का शेट्टी जैसे एक्टरों की घर-घर में पहचान बन गई.

बाहुबली से परदे पर आई अनदेखी दुनिया

फिल्म की कहानी दर्शकों को एक ऐसी दुनिया में ले गई, जो पहले कभी भारतीय पर्दे पर नहीं देखी गई थी. राजामौली के विजन ने 'बाहुबली' को हॉलीवुड की ब्लॉकबस्टर फिल्मों के बराबर ला खड़ा किया. बाहुबली के भव्य सेट, शानदार युद्ध के सीन और वीएफएक्स ने भारतीय सिनेमा में एक नई क्रांति ला दी. खासकर, फिल्म का अंतिम सवाल 'कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा?' दर्शकों के जेहन में इस कदर बसा कि यह एक राष्ट्रीय चर्चा का विषय बन गया.

बाहुबली का बजट और कलेक्शन

‘बाहुबली' ने 180 करोड़ रुपये के बजट में इसने 650 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई की. ये उस समय भारतीय सिनेमा के लिए एक रिकॉर्ड था. फिल्म ने जापान, चीन और अमेरिका जैसे देशों में भी जमकर धूम मचाई. यह पहली ऐसा मौका था जब एक गैर-बॉलीवुड फिल्म ने वैश्विक स्तर पर इतनी लोकप्रियता हासिल की.

बाहुबली के बाद बनीं पुष्पा, केजीएफ और आरआरआर

‘बाहुबली' ने भारतीय सिनेमा को एक नई पहचान दी. इसने साबित किया कि अच्छी कहानी, शानदार निर्देशन और तकनीकी उत्कृष्टता के दम पर कोई भी फिल्म भाषा और क्षेत्र की सीमाओं को लांघ सकती है. इसने बॉलीवुड को भी सोचने के लिए मजबूर किया और दक्षिण भारतीय सिनेमा को मुख्यधारा में लाने का रास्ता खोला. आज, जब ‘पुष्पा', ‘केजीएफ' या ‘आरआरआर' जैसी फिल्मों की बात करते हैं, तो उनकी नींव में ‘बाहुबली' का योगदान एकदम साफ नजर आता है.

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