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This Article is From Nov 07, 2017

दिल्ली में स्ट्रगल, नौकरी, कामयाबी लेकिन चैन कहां. प्रदूषण का डर

Manoranjan Bharati
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    नवंबर 07, 2017 15:45 pm IST
    • Published On नवंबर 07, 2017 15:18 pm IST
    • Last Updated On नवंबर 07, 2017 15:45 pm IST
आज जब सुबह बेटी को स्कूल छोड़ने के लिए घर के नीचे उतरा तो बाहर का नज़ारा देख कर दंग रह गया. ये क्या है. ठंड तो इतनी नहीं है पर इतना कोहरा वो भी इतनी जल्दी. मगर थोड़ा ही आगे बढ़े तो बेटी ने कहा कि पापा आंखें जल रही हैं. उसका कहना सही था फिर भी उसे अनमने ढंग से स्कूल भेज दिया. मैंने वहीं सड़क पर ही मोबाइल से कुछ वीडियो बनाया और ऑफिस को भेज दिया.

थोड़ी देर में अपने चैनल के व्हाट्सऐप पर देखा तो दिल्ली के हर कोने से लोग व्हाट्सऐप पर वीडियो भेज रहे थे. सबसे बुरा हाल उन इलाकों का था जहां खुली ज़मीन थी. वहां तो कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था. दिल्ली के पॉश इलाके का भी यही हाल था. मैं सोचने लगा कि हम अपने बच्चों को कैसी ज़िन्दगी देने की कोशिश कर रहे हैं. हम अपने गांव छोटे शहर से दिल्ली मुंबई जैसे महानगर इसलिए जाते हैं कि हमारी ज़िन्दगी बेहतर हो. दिनरात मेहनत करते हैं. न समय का ख्याल, न खाने का... जैसी जगह मिली रह लिए. बस करिअर बनाने की ज़िद और जब हालात ठीक हुए तो लगने लगा कि अब सेटल होने का टाइम आ चुका है.

यानी जब आप इस बात के लिए आश्वस्त हो जाते हैं कि बीवी और बच्चों को अच्छे से पाल लेंगे तो शादी कर लेते हैं. मगर तब तक आप अपने अतीत को काफी पीछे छोड़ चुके होते हैं यानी अपने उस छोटे से खूबसूरत से गांव को... वहां के लोग या फिर अपने छोटे कसबे को... सभी भूल जाते हैं. महानगर की चकाचौंध में... पैसा और करिअर के आगे सब क़ुर्बान, बस अपनी धुन में बढ़े चले जाते हैं. 

समय बीतता है और ऐसे ही एक सुबह जब आप अपनी बेटी को छोड़ने बस स्टॉप पर पहुँचते है और सब साफ़ नहीं दीखता है और जब बेटी आंखें जलने की बात करती है तब आप को लगता है कि आप जीवन में कहाँ खड़े हैं. अच्छा करियर या बच्चों का अच्छा भविष्य या उनकी गिरती सेहत. जो बच्चा ऐसे माहौल या वातावरण में पलेगा वह आगे क्या करेगा. ख़राब सेहत या अच्छा भविष्य के बीच बहस कुछ वैसी ही है जैसे अच्छा पर्यावरण और विकास के बीच. वैसे ही जंगल रहे या डैम बनें. 

फैसला हमको करना है यदि महानगर में रहना है तो अभी से खुद से शुरुआत करनी होगी. वह भी घर से अपने मोहल्ला से आस पास से. सरकार के भरोसे रहेंगे तो देर हो जाएगी. शुरुआत तो करो बदलेगा आपका शहर...

(मनोरंजन भारती एनडीटीवी इंडिया में सीनियर एक्जीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल, न्यूज हैं.)

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