
Shadashtak Yog: ग्रह लगातार गतिमान रहते हैं. इस दौरान वे एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं. यहां वे अन्य ग्रहों के साथ युति भी करते हैं. अगर शुभ ग्रहों के साथ युति हो, तो शुभ योग का निर्माण होता है और इसके शुभ और सकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं. वहीं अगर ग्रहीय स्थिति नकारात्मक हो, तो परिणाम भी विपरित हो सकते हैं. इसे खतरनाक योग माना जाता है. आम तौर पर इस योग के शुभ प्रभाव (Shadashtak Yog Ka Prabhav) देखने को नहीं मिलते हैं. ऐसे में कुछ राशि वाले लोगों के लिए यह योग परेशानी भरा हो सकता है. इसलिए आपको सावधानी बरतने की जरूरत है. आम तौर पर मंगल और शनि (Shadashtak Yoga of Mars and Rahu), राहु और मंगल और सूर्य और शनि के संयोजन से षडाष्टक योग बन सकता है. हालांकि, इसका प्रभाव कैसा होगा, यह कुंडली में ग्रहों की स्थिति के साथ ही दूसरे कारकों पर निर्भर होता है.

कैसे बनता है षडाष्टक योग
ग्रहों की स्थिति के आधार पर एक विशेष खगोलीय स्थिति का निर्माण होता है. जब दो ग्रहों के बीच छठे और आठवें भाव का संबंध बनता है, तब षडाष्टक योग का निर्माण होता है. इसी तरह जब कुंडली में दो ग्रहों के बीच 150 डिग्री का कोण बनता है तब भी षडाष्टक योग बनता है. आम तौर पर इस योग को अशुभ माना जाता है. इस कारण जीवन में कई तरह की परेशानियां भी देखने को मिल सकती है.
षडाष्टक योग के सकारात्मक प्रभाव
वैसे तो षडाष्टक योग अशुभ ही होता है, लेकिन हर बार यह नकारात्मक नहीं होता. कई मामलों में ग्रह के शुभ प्रभाव भी देखने को मिलते हैं. इसे इस तरह समझ सकते हैं, अगर कुंडली के छठे भाव में कोई शुभ ग्रह हो तो, जातक कठिन परिश्रम से सफलता प्राप्त करता है.
षडाष्टक योग के नकारात्मक प्रभाव
षडाष्टक योग आम तौर पर अशुभ फलदायी होता है. इस योग के प्रभाव से जीवन में उथल-पुथल मचा रहेगा. मानसिक तनाव भी हो सकता है. षडाष्टक योग के कारण आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. योग के प्रभाव से नौकरी में भी समस्या हो सकती है. कार्यक्षेत्र में परेशानी के साथ ही उच्चाधिकारियों के साथ भी रिश्ते खराब हो सकते हैं.