भारत में पांच साल होने जा रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने कभी खुलकर प्रेस कांफ्रेंस नहीं की. दो चार इंटरव्यू दिए लेकिन उनकी याद तभी आती है जब आप कहीं पकौड़ा तलते देखते हैं. ट्रंप आपा खोते हुए भी प्रेस के बीच हैं. प्रेस के सामने हैं. पत्रकार एक राष्ट्रपति के हावी होते हुए भी वहीं टिका है. भारत में अगर कोई ऐसा कर दे तो चैनल चलाने वाले सबसे पहले उस पत्रकार को बर्खास्त करना अपना कर्तव्य समझेंगे. उसके दफ्तर लौटने से पहले उसे बर्खास्त कर दिया जाएगा. अकोस्टा से भी मान्यता छीन ली गई है मगर सीएनन उनके साथ खड़ा है. भारत होता तो घर पहुंचने से पहले निकाल दिया जाता. सीएनन ने बयान जारी कर कहा है कि अकोस्टा पर इंटर्न पर हाथ रखने के आरोप झूठे हैं और संस्थान उसके साथ खड़ा है. सीएनन ने अपने बयान में कहा है कि 'व्हाइट हाउस ने आज के प्रेस कांफ्रेंस में चुनौती देने वाले सवाल पूछने का बदला लेते हुए अकोस्टा की मान्यता रद्द कर दी है. प्रेस सचिव सारा सैंडर्स ने झूठ बोला है. उन्होंने फर्जी आरोप लगाए हैं और ऐसी घटना का ज़िक्र किया है जो हुई ही नहीं. यह अप्रत्याशित फैसला लोकतंत्र के लिए ख़तरा है. देश को इससे बेहतर की उम्मीद थी. जिम अकोस्टा को हमारा पूरा समर्थन है.'