जिस समय मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नये साल में अपनी बहुप्रचारित भावांतर भुगतान योजना के चेक खुशी खुशी बांट रहे थे, उसी वक्त उनके कैबिनेट की वरिष्ठ मंत्री कुसुम मेहदले इस योजना की खामियां गिना रही थीं. भावांतर को फिलहाल एक सीजन में सिर्फ़ दो महीने के लिए लागू करने का प्रावधान है. यानी जैसे अक्टूबर के आसपास खरीफ के सीजन की फसल आती है तो योजना भी उसके साथ ही दो महीने के लिए लाई गई. यही व्यवस्था रबी के सीजन में भी मार्च-अप्रैल के समय अपनाई जाएगी. यानी अगर भावांतर का लाभ लेना है तो किसानों को इन्हीं दो महीनों में फसल बेचनी होगी. दूसरी दिक्कत ये है कि सरकार पूरी उपज नहीं बल्कि निर्धारित खरीद का ही भुगतान करती है.