Blogs | धर्मेंद्र सिंह |शुक्रवार अक्टूबर 21, 2016 12:50 PM IST मैं उल्टी राइफल हूं. काले कपड़ों में लिपटी हुई जो किताब अभी अभी मेरे सम्मुख आई है, जरा देखो;क्या मेरे सिपाही की स्मृति उसमें अंकित है? मुझे छुआ दो. एक लघु-स्पर्श मात्र. मैं उस सिपाही का स्याही हुआ नाम जरा चूम तो लूं !