'ज्ञानपीठ'

- 42 न्यूज़ रिजल्ट्स
  • Literature | Reported by: NDTV इंडिया |मंगलवार फ़रवरी 20, 2024 09:38 PM IST
    तसनीम खान का पहला उपन्यास 'ए मेरे रहनुमा' 2016 में भारतीय ज्ञानपीठ से आ चुका है. इसका अंग्रेजी अनुवाद भी भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित हो चुका है.
  • Blogs | विनोद खेतान |सोमवार मार्च 25, 2024 10:12 AM IST
    आज जब गुलज़ार को ज्ञानपीठ से नवाजा गया है तो ज़ाहिर है मूलत: साहित्यकार के रूप में उनकी पहचान को स्वीकारा गया है. और साहित्यकार गुलज़ार को तसल्ली ज़रूर हुई होगी.
  • India | Reported by: भाषा, Edited by: आलोक कुमार ठाकुर |शनिवार फ़रवरी 17, 2024 11:18 PM IST
    चित्रकूट में तुलसी पीठ के संस्थापक और प्रमुख रामभद्राचार्य एक प्रसिद्ध हिंदू आध्यात्मिक गुरु, शिक्षक और चार महाकाव्य समेत 240 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं. ज्ञानपीठ चयन समिति ने एक बयान में कहा, ‘‘यह पुरस्कार (2023 के लिए) दो भाषाओं के प्रतिष्ठित लेखकों को देने का निर्णय लिया गया है - संस्कृत साहित्यकार जगद्गुरु रामभद्राचार्य और प्रसिद्ध उर्दू साहित्यकार गुलजार.’’
  • Literature | Reported by: भाषा |मंगलवार नवम्बर 24, 2020 12:13 PM IST
    प्रसिद्ध कन्नड लेखक और ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता यू आर अनंतमूर्ति (UR Ananthamurthy)  की मशहूर साहित्यिक कृति ‘अवस्थे’ (अवस्था) अब अंग्रेजी के पाठकों के लिए भी उपलब्ध होगी. हार्परकॉलिन्स प्रकाशक ने इस संबंध में घोषणा की. कन्नड भाषा में सबसे पहले 1978 में प्रकाशित ‘अवस्थे’ किसानों के एक क्रांतिकारी नेता कृष्णप्पा गौड़ा की कहानी है.
  • Career | Reported by: भाषा |गुरुवार मार्च 26, 2020 09:53 AM IST
    महान कवयित्री महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च, 1907 को हुआ. हिंदी साहित्य में निराला, प्रसाद, पंत के साथ साथ महादेवी वर्मा को छायावाद युग का एक महान स्तम्भ माना जाता है. महादेवी गद्य विधा की भी महत्वपूर्ण हस्ताक्षर थीं. उन्हें साहित्य अकादेमी फेलोशिप, ज्ञानपीठ और पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया.
  • India | Reported by: भाषा, Edited by: नितेश श्रीवास्तव |सोमवार दिसम्बर 23, 2019 03:59 AM IST
    डॉ. नंजुंदन की ख्याति दर्जनों कन्नड़ किताबों को तमिल में अनुवाद करने की वजह से मिली. इन किताबों में ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता यू आर अनंतमूर्ति की कृति "भाव" और "अवस्थे" शामिल है. उन्हें साल 2012 में "अक्का" के लिए अकादमी अनुवाद पुरस्कार मिला. यह विभिन्न कन्नड़ लेखिकाओं की लघु कथा है जिसे उन्होंने तमिल में अनुवाद किया है. 
  • Lok Sabha Elections 2019 | अर्चित गुप्ता |गुरुवार मार्च 28, 2019 03:05 PM IST
    कविताएं लोगों के दिलों में हमेशा से ही अपनी छाप छोड़ती आ रही हैं और यही कारण है कि अब नेता इनका सहारा लेकर लोगों तक अपनी बात पहुंचा रहे हैं. लेकिन अब कविताओं का प्रयोग राजनीतिक हित के लिए अधिक किया जा रहा है. कविताओं द्वारा राजनीतिक प्रहार का चलन बढ़ता ही जा रहा. खासकर चुनाव (Elections) के समय प्रसिद्ध कवियों की कविताओं का प्रयोग राजनैतिक हथियार के रूप में किया जाता आ रहा है.
  • Blogs | रवीश कुमार |शनिवार जनवरी 26, 2019 12:08 AM IST
    एक किताब होती तो आपके लिए भी आसान होता लेकिन जब कोई लेखक रचते-रचते संसार में से संसार खड़ा कर देता है तब उस लेखक के पाठक होने का काम भी मुश्किल हो जाता है. आप एक किताब पढ़ कर उसके बारे में नहीं जान सकते हैं. जो लेखक लिखते लिखते समाज में अपने लिए जगह बनाता है, अंत में उसी के लिए समाज में जगह नहीं बचती है.
  • Blogs | Written by: नरेंद्र सैनी |शुक्रवार जनवरी 25, 2019 11:55 AM IST
    हिंदी साहित्य (Hindi Literature) में कृष्णा सोबती (Krishna Sobti) एक अलग ही मुकाम रखती थीं और उनका व्यक्तित्व उनकी किताबों जितना ही अनोखा था. 1980 में कृष्णा सोबती को उनकी किताब 'जिंदगीनामा' के लिए साहित्य अकादेमी (Sahitya Akademi Award) से नवाजा गया था तो 2017 में हिंदी साहित्य में उनके योगदान के लिए उन्हें ज्ञानपीठ (Jnanpith) पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
  • India | रवीश कुमार |शनिवार दिसम्बर 15, 2018 07:40 AM IST
    इतिहास और कल्पना के घोल से जो रसायन वह तैयार करते हैं, जितनी गहराई से अपने विषय पर शोध करते हैं और उसे जिस बारीक़ी से रचना में बदलते हैं, वह आपको बिल्कुल हैरान छोड़ जाता है. भाषा, पर्यावरण, राजनीति- जैसे जीवन का कोई पहलू उनसे छूटता नहीं. 'सी ऑफ़ पॉपीज़़' में वे इस बात की ओर ध्यान खींचते हैं कि कैसे भारत में अंग्रेजी साम्राज्यवाद ने यहां की खेती बरबाद की, आम फ़सलों की जगह अफीम उगाने को मजबूर किया और पूरे उत्तर भारत के सामाजिक-आर्थिक तंत्र को झकझोर दिया.
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