'University series'

- 16 न्यूज़ रिजल्ट्स
  • Blogs | रवीश कुमार |मंगलवार जून 19, 2018 12:17 AM IST
    ज़िंदगी बर्बाद करने का कारखाना आपने देखा है? भारत में महानगरों से लेकर ज़िलों में ज़िंदगी बर्बाद करने का कारखाना खुला हुआ है, जिसे हम अंग्रेज़ी में यूनिवर्सिटी और हिन्दी में विश्वविद्यालय कहते हैं. इस कारखाने की ख़ूबसूरती यही है कि जिसकी ज़िंदगी बर्बाद होती है उसे फर्क नहीं पड़ता. जो बर्बाद कर रहा है उसे भी कोई फर्क नहीं पड़ता. उत्तर प्रदेश के डॉक्टर राम मनोहर लोहिया यूनिवर्सिटी में इस साल बीए और एमए के 80 फीसदी छात्र फेल हो गए हैं. जिस यूनिवर्सिटी में चार लाख से अधिक छात्र फेल हो जाएं वो दुनिया की सबसे बड़ी ख़बर होनी चाहिए. क्या आपने सुना है कि ऑक्सफोर्ड, हावर्ड, मिशिगन यूनिवर्सिटी के 80 प्रतिशत छात्र फेल हो गए? और किसी को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है.
  • Blogs | रवीश कुमार |सोमवार मार्च 19, 2018 10:45 PM IST
    यूनिवर्सिटी सीरीज़ धीरे-धीरे लौटती रहेगी. 27 अंक पर हमने छोड़ा था, अब 28वें से शुरू कर रहा हूं जो यहां से नए तरीके से चलेगी. एक नेता ने कहा है कि हिन्दुओं को मंदिर के लिए शहादत देनी पड़ेगी. उस नेता ने कब कहा कि हिन्दुओं के पढ़ाई लिखाई अस्पताल के लिए हम प्रतिनिधि शहादत देंगे. ये जिस शहादत की बात कर रहे हैं क्या आपको लगता है कि इसमें अच्छे घरों के लोग जाएंगे.
  • Blogs | रवीश कुमार |गुरुवार नवम्बर 16, 2017 10:44 PM IST
    आज रजत जयंती दिवस हैं. यूनिवर्सटी सीरीज़ का 25वां अंक हम धूम धाम की जगह बूम बाम से मनाने जा रहे हैं. ऐसी कहानियां जिसे आप देखकर खुद को दिलासा देंगे कि आप बच गए. सिस्टम जब विस्फोट करता है तो उसके छर्रे जाने कितनी पीढ़ियों की पीठ में धंस जाते हैं, जिसका हिसाब कोई नहीं कर सकता.
  • Blogs | रवीश कुमार |सोमवार नवम्बर 13, 2017 10:48 PM IST
    मध्य प्रदेश में जो ठेके पर रखे जाते हैं उन्हें अतिथि विद्वान कहते हैं. लाइब्रेरी में जो रखे जाते हैं उन्हें अतिथि ग्रंथपाल कहते है. कायदे से तो अतिथि की ख़ातिरदारी करने का दंभ भरते हैं मगर राज्य के अतिथि विद्वानों की सिस्टम ने ऐसी ख़ातिरदारी की है वे दस दस साल की नौकरी के बाद भी किसी की ख़ातिरदारी के लायक नहीं रहे.
  • Blogs | रवीश कुमार |शुक्रवार नवम्बर 10, 2017 12:40 PM IST
    हमारी यूनिवर्सिटी सीरीज़ का 22वें अंक में प्रवेश कर चुकी है. हमारी सीरीज़ का असर ये हुआ कि व्यवस्था के कान पर जूं तो नहीं रेंगी मगर घास कट गई है. यह भी बड़ी कामयाबी है कि भले टीचर न रखे जाएं, लाइब्रेरी ठीक न हो, शौचालय न हो मगर इन सबके बीच घास कट जाए तो माना जाना चाहिए कि अभी कुछ बचा हुआ है.
  • Blogs | रवीश कुमार |सोमवार नवम्बर 6, 2017 10:15 PM IST
    यह यूनिवर्सिटी सीरीज़ का 20वां अंक है. मुझे पता है कि अब आपके लिए झेलना मुश्किल हो गया लेकिन यह सीरीज़ उन लाखों नौजवानों के लिए है जो इस सिस्टम को झेल रहे हैं, जब यही नौजवान कालेजों से निकलेंगे तो समाज और देश को झेलना मुश्किल हो जाएगा.
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