रुबीना दिलैक और उनके पति अभिनव शुक्ला ने बेटियों की परवरिश के लिए एक अनोखा तरीका चुना है. घर का बना खाना पसंद करने से लेकर अपनी जड़ों से जुड़े रहने तक, अभिनव और रुबीना अपने बच्चों को पालन पोषण में ये तरीका अपनाने जा रहे हैं. एक हालिया पॉडकास्ट में, रुबीना ने बताया कि उन्होंने दोनों बेटियों को अपने घर हिमाचल प्रदेश में पालने का फैसला क्यों किया है.
ये है वजह
पारस छाबड़ा के साथ आबरा का डाबरा शो में बातचीत के दौरान, रुबीना ने बताया कि क्यों वो और अभिनव मुंबई में रहते हैं जबकि उनकी बेटियां, जीवा और एधा, हिमाचल प्रदेश में हैं. उन्होंने खुलासा किया कि वे अपनी फैमिली प्लानिंग करते समय बहुत सोच-समझकर आगे बढ़े हैं. अपने बच्चों को एक बेहतर वातावरण देने का लक्ष्य रखते हुए ये फैसला लिया है जो उन्हें उनकी जड़ों से जोड़ता है.
उन्होंने कहा- जब हम फैमिली प्लानिंग कर रहे थे और जब भी हम परिवार की बात करते थे, तो हम दोनों ही बहुत सोच-समझकर आगे बढ़ रहे थे कि हमें बच्चों को किस माहौल में पालना है. हमें उन्हें साफ़ वातावरण देना है. वे मिट्टी में खेलें, वो हंबल बैकग्राउंड में पले-बढ़ें. वे जितना हो सके गांव से जुड़े रहें और उन्हें खुद की खेती से उगाया हुआ खाना मिले. क्योंकि मैं पहाड़न हूं, मैं जमींदारों और किसानों के परिवार से ताल्लुक रखती हूं और मैं बागों, खेतों और खलिहानों से ब्लेस्ड हूं. इसलिए हम दोनों ने जानबूझकर यह फैसला किया कि जैसे ही बच्चे तीन या चार महीने के हो जाएंगे, उनका बेसिक वैक्सीनेशन हो जाएगा, हम उन्हें फार्महाउस ले जाएंगे और वहीं पर उन्हें पालेंगे.
रुबीना ने कहा-हम उन्हें प्रिव्लेज्ड नहीं बनाना चाहते तो हम उन्हें अच्छी परवरिश देंगे, लेकिन अगर वे अपने लिए एक जीवन चुनना चाहते हैं - वे लक्जरी, सुपर लक्जरी या नो लक्जरी चाहते हैं. यह उनकी पसंद होगी. मतलब बच्चे को बिगाड़ना नहीं है. बच्चों को हर चीज़ प्लेटर में सर्व करके नहीं देनी है. अच्छी परवरिश देंगे, अच्छी शिक्षा देंगे, अच्छा पालन-पोषण देंगे.
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