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विश्व शौचालय दिवस 2020: 'स्वच्छता और जलवायु परिवर्तन' की आवश्यकता पर पांच तथ्य

संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास के गोल 6 का उद्देश्य सभी के लिए सुरक्षित और सबके लिए पीने के पानी के लिए सार्वभौमिक और न्यायसंगत पहुंच बनान है. सभी के लिए पर्याप्त और समान स्वच्छता और स्वच्छता तक पहुँच और खुले में शौच को समाप्त करना भी इन्‍ही लक्ष्‍यों में शामिल है. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट है कि 673 मिलियन लोग अभी भी खुले में शौच करते हैं और उनमें से 91 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं. वैश्विक स्वच्छता संकट से निपटने के लिए और एसडीजी लक्ष्य 6 को प्राप्त करने के लिए, संयुक्त राष्ट्र हर साल 19 नवंबर को 'विश्व शौचालय दिवस' मनाता है.

  • सस्टेनेबल सेनिटेशन का अर्थ है एक ऐसी प्रणाली जो मानव अपशिष्ट का निपटान करे. प्रक्रिया के हिस्‍सा होने के चलते अपशिष्ट जल और उत्सर्जन को एक संसाधन माना जाता है, यही वजह है कि इसका पुन: उपयोग किया जाता है. लेकिन, विश्व स्तर पर, समाज द्वारा उत्पन्न अपशिष्ट जल का 80 प्रतिशत बिना पुन: उपयोग किए वेस्‍ट हो जाता है.
  • यूनिसेफ के अनुसार, दुनिया की 40 प्रतिशत आबादी, या 3 बिलियन लोगों को घर पर पानी और साबुन के साथ हाथ धोने की सुविधा नहीं है. कम से कम विकसित देशों में लगभग तीन चौथाई लोगों के पास घर पर बुनियादी सुविधाओं का अभाव है.
  • संयुक्त निगरानी कार्यक्रम की रिपोर्ट, 'पेयजल, स्वच्छता और स्वच्छता पर प्रगति: 2000-2017: यूनिसेफ और डब्ल्यूएचओ द्वारा विशेष रूप से असमानताओं पर विशेष ध्यान' में यह पाया गया है कि, हर साल 5 साल से कम उम्र के 2,97,000 बच्चों की मृत्‍यु दस्त के कारण मृत्यु हो जाती है.
  • संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने सितंबर 2018 में अपने भाषण में कहा था कि 'जलवायु-प्रत्यास्थी पानी की आपूर्ति और स्वच्छता' हर साल 3,60,000 से अधिक शिशुओं की जान बचा सकती है.'
  • संयुक्त राष्ट्र विश्व जल विकास रिपोर्ट 2018 में कहा गया है कि दुनिया भर में 3.6 बिलियन लोग (लगभग आधी वैश्विक आबादी) पहले से ही प्रति वर्ष कम से कम एक माह पानी की कमी वाले क्षेत्रों में रह रहे हैं और यह तादात 4.8-5.7 बिलियन तक बढ़ सकती है. पानी की कमी सीधे तौर पर स्वच्छता से जुड़ी हुई है.
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