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आखिर कौन होते हैं 'नागा साधु', PHOTOS में देखिए कैसा होता है इनका जीवन

हर 12 साल में आयोजित होने वाला कुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है.

  • हर 12 साल में आयोजित होने वाला कुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है.
  • इस साल यह प्रयागराज में संगम तट के किनारे 13 जनवरी 2025 से शुरू हो रहा है. ऐसे में आइए जानते हैं कि नागा साधु कौन होते हैं, उनका जीवन कैसे होता है, और वे क्यों इतने प्रसिद्ध हैं.
  • नागा साधु अपनी साधना में इतने व्यस्त होते हैं कि वे समाजिक दूरी बनाए रखते हैं. उनका उद्देश्य केवल आत्मज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति होता है.
  • नागा साधुओं के लिए कुंभ मेला एक अवसर होता है, जहां वे एकत्र होकर गंगा स्नान करते हैं, ध्यान करते हैं, और अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करते हैं. नागा साधु दुनिया के सबसे बड़े मेले में तप, साधना की अद्वितीयता को दर्शाते हैं.
  • नागा साधु का जीवन तप और साधना के लिए समर्पित होता है. ऐसे में वे पूरे दिन ध्यान और साधना में समय बिताते हैं, जिसमें विशेष रूप से स्नान और पद्मासन (ध्यान की मुद्रा) शामिल हैं.
  • नागा साधुओं की विशेष वेश-भूषा देखकर हर कोई उनके रहन-सहन और जीवन के बारे में जानने को लेकर उत्सुक हो उठता है.
  • नागा साधु गंगा, यमुना और सरस्वती के मिलन संगम में स्नान कर अपनी साधना को और ऊर्जावान बनाते हैं. इनका जीवन तप, साधना, और मोक्ष की प्राप्ति के लिए समर्पित है.
  • भस्म से सजी देह और आकाश की ओर बढ़ती जटाएं नागा साधु को अनोखा बनाती हैं. जब इनका समूह मेले में निकलता है तो उनका अदभुत रूप देखकर हर कोई दंग हो जाता है.
  • नागा साधु सनातन धर्म के साधक हैं, जिन्हें अखाड़ा के नाम से जाना जाता है. ये साधु निर्वस्त्र रहते हैं. इनका बिना कपड़ों के रहना इस बात का प्रतीक है कि उन्होंने सांसारिक मोह माया त्याग दिया है.
  • नागा साधु का जीवन तप, साधना, और मोक्ष की प्राप्ति के लिए समर्पित है. आपको बता दें कि कुंभ मेले में नजर आने वाले नागा साधु अखाड़ों में रहते हैं, जो धार्मिक संगठनों का हिस्सा होता है.
  • नागा साधु भौतिक चीजों का त्यागकर साधारण जीवन जीते हैं. यह अपने जीवन में प्राकृतिक चीजों का उपयोग करते हैं.
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