इस साल यह प्रयागराज में संगम तट के किनारे 13 जनवरी 2025 से शुरू हो रहा है. ऐसे में आइए जानते हैं कि नागा साधु कौन होते हैं, उनका जीवन कैसे होता है, और वे क्यों इतने प्रसिद्ध हैं.
नागा साधुओं के लिए कुंभ मेला एक अवसर होता है, जहां वे एकत्र होकर गंगा स्नान करते हैं, ध्यान करते हैं, और अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करते हैं. नागा साधु दुनिया के सबसे बड़े मेले में तप, साधना की अद्वितीयता को दर्शाते हैं.
नागा साधु का जीवन तप और साधना के लिए समर्पित होता है. ऐसे में वे पूरे दिन ध्यान और साधना में समय बिताते हैं, जिसमें विशेष रूप से स्नान और पद्मासन (ध्यान की मुद्रा) शामिल हैं.
नागा साधु गंगा, यमुना और सरस्वती के मिलन संगम में स्नान कर अपनी साधना को और ऊर्जावान बनाते हैं. इनका जीवन तप, साधना, और मोक्ष की प्राप्ति के लिए समर्पित है.
नागा साधु सनातन धर्म के साधक हैं, जिन्हें अखाड़ा के नाम से जाना जाता है. ये साधु निर्वस्त्र रहते हैं. इनका बिना कपड़ों के रहना इस बात का प्रतीक है कि उन्होंने सांसारिक मोह माया त्याग दिया है.
नागा साधु का जीवन तप, साधना, और मोक्ष की प्राप्ति के लिए समर्पित है. आपको बता दें कि कुंभ मेले में नजर आने वाले नागा साधु अखाड़ों में रहते हैं, जो धार्मिक संगठनों का हिस्सा होता है.