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सीआरपीएफ और राजस्थान सरकार संग मिलकर उषा कर रही है कौशल निर्माण

अलग-अलग स्तरों पर उषा सिलाई स्कूलों की अद्भुत सफलता के बाद, सरकारी संस्थाएं उषा के साथ हाथ मिलाने और भारत की ग्रामीण महिलाओं के कौशल विकास के लिए समर्थन मांगने के लिए आगे आई हैं.CWA (CRPF परिवार कल्याण संघ) और राजस्थान सरकार के साथ USHA मिलकर कई जिंदगियां सुधार रहा है.

  • सीडब्ल्यूए और उषा ने सीआरपीएफ कर्मियों के परिवारों के लिए कौशल और आय का स्त्रोत पैदा किया है.आपको बता दें उषा-सीडब्ल्यूए साझेदारी का उद्देश्य उनके सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण में मदद करना है.
  • उषा-सीडब्ल्यूए साझेदारी के तहत सीआरपीएफ जवानों की पत्नियों और विधवाओं के लिए सीआरपीएफ के 12 जगहों पर सिलाई ट्रेनिंग केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं.
  • उषा-सीडब्ल्यूए सिलाई स्कूल में 15 महिलाओं को ट्रैन किया जा रहा है और कई अन्य महिलाएं जो इच्छुक हैं उन्हें बाद में सिखाया जाएगा.इन 15 महिलाओं को बेस्ट ट्रेनिंग दी जाएगी. उसके बाद,तीन महिलाओं को मास्टर ट्रेनर के रूप में ट्रेनिंग करने के लिए चुना जाएगा,फिर वे अन्य महिलाओं को ट्रेनिंग देना शुरू कर सकते हैं और अपने लिए पैसा कमा सकते हैं.
  • सीआरपीएफ वेलफेयर एसोसिएशन ने उषा के साथ साझेदारी में हर महिला को एक सिलाई मशीन दी है.
  • यह चुने हुए सिलाई हीरो का एक बेस्ट लेवल का उत्पादन ट्रेनिंग है और 15 दिनों के लिए वे एक निर्धारित पाठ्यक्रम का पालन करते हैं जिसमें एक टारगेट बनाया जाता है.
  • सीआरपीएफ की महिलाएं हर दिन एक नई चीज सीख रही हैं. कुछ के लिए, ट्रेनिंग एक अच्छा स्टेप है जो एक आय का स्त्रोत बनेगा.
  • अब तक राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और तमिलनाडु के छह सेंटर्स से कुल 90 महिलाओं को ट्रेनिंग और सर्टिफिकेट भी दिया गया है.
  • राजस्थान सरकार ने राज्य के चार जिलों- जयपुर, कोटा, धौलपुर और प्रतापगढ़ में 100 महिलाओं को सिखाने के लिए बेस्ट समिति नामक एक एनजीओ के साथ उषा सिलाई स्कूल कार्यक्रम के साथ भागीदारी की है.
  • राजस्थान राज्य सरकार के साथ साझेदारी राजस्थान नॉलेज कारपोरेशन लिमिटेड (आरकेसीएल) के माध्यम से है जो राज्य का एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है जो ग्रामीण महिलाओं को सशक्त और निपुण बनाने पर काम करता है.
  • शिक्षार्थियों को सिलाई कौशल सिखाया जाएगा और वो यह भी सीखेंगे कि सिलाई मशीनों की मरम्मत और उन्हें कैसे चलाना है. उनसे अपने गांवों में वापस जाने और सिलाई स्कूल के शिक्षक बनने की उम्मीद की जाती है जो आगे अन्य ग्रामीण महिलाओं को सिलाई कौशल में ट्रेनिंग देंगे.
  • महिलाओं के मुद्दों, विशेष रूप से स्वास्थ्य और सामाजिक सशक्तिकरण पर काम करने वाला एक एनजीओ 'उन्नयन समिति' उषा और राजस्थान सरकार के बीच साझेदारी का एक प्रमुख सूत्रधार बना हुआ है. इस समिति ने महिलाओं की पहचान बनाने और उन्हें उषा सिलाई स्कूल कैंप में लाने में अहम भूमिका निभाई है.यह भी सुनिश्चित करता है कि ट्रेनिंग के दौरान कोई ड्रॉपआउट न हो.
  • एनजीओ यह भी देख-रेख करता है कि महिलाएं यहां सीखे गए कौशल का अभ्यास करती हैं या नहीं और साथ ही में यह भी सुनिश्चित करेगा कि ट्रेनिंग से निकलने के बाद भी वह अपने कौशल का सही तरीके से इस्तेमाल कर रही है या नहीं.
  • 'उन्नयन समिति' के प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर श्याम सुंदर शर्मा ने बताया कि एक महिला के चयन का पैरामीटर यह है कि यदि कोई महिला जरूरतमंद है या नहीं, फिर वह कहीं विधवा तो नहीं, यदि वह शारीरिक रूप से विकलांग है या नहीं, या यदि वह एक गरीब परिवार से है, और सिलाई और कमाई में रुचि रखती है. खुद के लिए एक आय की एक स्त्रोत.
  • सिलाई स्कूल न केवल उन्हें सिलाई के लिए ट्रेनिंग देता है ,बल्कि वे अन्य ग्रामीण महिलाओं को एक छोटे से शुल्क कमाने के लिए भी सक्षम बनाता है.
  • कई महिलाओं के लिए यह उस अवसर की तरह है जहां उन्हें अपने पंख खोलकर घर से पहली बार है उड़ान भरने का मौका मिला है. कई लोगों के लिए, यह अपने जैसी अन्य महिलाओं से मिलने और बेहतर भविष्य की दिशा में काम करने का भी अवसर हैं.
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