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तनु से मुक्ति तक: आनंद एल राय की प्रभावशाली महिला नायिकाओं को गढ़ने की विरासत

तेरे इश्क में मुक्ति के रूप में कृति सैनन के साथ आनंद एल राय ने शक्तिशाली महिलाओं प्रमुख नायिका की विरासत को जारी रखा है

  • 'तनु वेड्स मनु' के छोटे शहर के आकर्षण से लेकर रांझणा की खट्टी-मीठी जटिलताओं तक, राय ने भारतीय सिनेमा में महिलाओं के किरदार को फिर से परिभाषित किया है. तनु वेड्स मनु (2011) और इसके सीक्वल (2015) में, तनु (कंगना रनौत) एक तेजतर्रार, दोषपूर्ण, आवेगी और बाधाओं से स्वतंत्र एक राइजिंग स्टार के रूप में उभरी. उसके चुनाव उलझे हुई थी, उसकी भावनाएँ अनफ़िल्टर्ड थीं, और फिर भी, वह कभी भी एक स्टीरियोटाइप में तब्दील नहीं हुई थी.
  • 'तनु वेड्स मनु रिटर्न्स' ने दत्तो (कंगना रनौत द्वारा अभिनीत) को भी पेश किया, जो एक युवा एथलीट थी, जिसके धैर्य और ईमानदारी ने उसे अलग खड़ा किया. जहां तनु अराजकता थी, दत्तो अनुशासन थी; जहां एक ने अपनी शर्तों पर प्यार मांगा, वहीं दूसरे ने इसे अपनी महत्वाकांक्षाओं के बाद के विचार के रूप में देखा.
  • 'रांझणा' (2013) में ज़ोया (सोनम कपूर) एक ऐसा किरदार थी जो प्यार, नुकसान और व्यक्तिगत विकास का भारी बोझ उठाती थी. राय की बारीक कहानी ने उन्हें उल्लेखनीय गहराई के साथ जीवंत कर दिया, एक ऐसी महिला का प्रदर्शन किया जो लगातार अपनी भावनाओं और महत्वाकांक्षाओं के बीच फंसी रहती थी.
  • 'ज़ीरो' (2018) के साथ, राय ने दो अलग-अलग संघर्षों वाली महिलाओं को जीवंत किया. आफिया (अनुष्का शर्मा), सेरेब्रल पाल्सी से जूझ रही एक वैज्ञानिक, दृढ़ निश्चयी, प्रतिभाशाली और सफलता की तलाश में अटूट इंटेंसिटी की शक्ति थी.
  • दूसरी बाबिता (कैटरीना कैफ), जो बॉलीवुड की स्टार थी, एक अकेलापन और खामोशी के पर्दे के भीतर गहरी असुरक्षा छुपाए हुए थी. इन पात्रों ने राय की ताकत को दिखाया कि वह महिलाओं को न केवल सशक्त, बल्कि बहुमुखी और महत्वपूर्ण रूप से पेश कर सकते हैं.
  • अब, 'तेरे इश्क में' के साथ, राय एक और अविस्मरणीय महिला नायिका मुक्ति (कृति सेनन) का परिचय करा रहे हैं. जैसा कि फिल्म के प्रोमो में झलकता है, मुक्ति एक ऐसी इंटेंसिटी का परिचय देती है जो न केवल आकर्षक बल्कि रहस्यमयी भी है, जो गहरे पहलुओं की ओर इशारा करती है, जिन्हें आगे जाकर जाना जाएगा.
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