शेषन की वो सलाह, काश जिसे राजीव गांधी मान लेते तो...
21 मई 1991 की तारीख को शायद ही कोई भूल सकता है. भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की श्रीपेरंबदूर में 33 साल पहले आज ही के दिन आत्मघाती बम धमाके में मौत हो गई थी. सवाल आज भी जहन में आते हैं कि क्या उन्हें बचाया जा सकता था? क्या वह टीएन शेषन की सलाह मान लेते तो जिंदा होते? टीएन शेषन दरअसल भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त रहे हैं. उन्होंने अपनी किताब 'थ्रू द ब्रोकन ग्लास : एन ऑटोबायोग्राफी' काफी चर्चित है. इसमें उन्होंने काफी किस्से लिखे हैं, जिसमें वह सलाह भी है जो उन्होंने राजीव गांधी को दी थी.
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टीएन शेषन की 'थ्रू द ब्रोकन ग्लास : एन ऑटोबायोग्राफी' में 1988-1989 में जब स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप का ड्राफ्ट तैयार हो रहा था जब टीएन शेषन ने राजीव को सलाह थी कि एसपीजी के दायरे में पूर्व पीएम और उनके परिवारों को भी रखा जाए, लेकिन राजीव ने ये सलाह नहीं मानी थी. उनका कहना था कि इससे जनता में मैसेज जाएगा कि मैंने अपना स्वार्थ देखते हुए ऐसा किया. (इमेज क्रेडिट- राहुल गांधी का फेसबुक अकाउंट)
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10 बजकर 10 मिनट पर राजीव गांधी श्रीपेरंबदूर पहुंचे थे. पुरुष कार्यकर्ताओं से मिलने के बाद राजीव ने महिलाओं की ओर रुख किया. तभी लड़की चंदन का एक हार ले कर राजीव गांधी की तरफ बढ़ी, जैसे ही वह उनके पैर छूने के लिए झुकी, कानों को बहरा कर देने वाला धमाका हुआ. (इमेज क्रेडिट- राहुल गांधी का फेसबुक अकाउंट)
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इंदिरा गांधी के प्रधान सचिव रहे पीसी एलेक्ज़ेंडर ने अपनी किताब 'माई डेज़ विद इंदिरा गांधी' में लिखा था कि इंदिरा गांधी की हत्या के कुछ घंटों के भीतर उन्होंने ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट के गलियारे में सोनिया और राजीव को लड़ते हुए देखा था. राजीव सोनिया को बता रहे थे कि पार्टी चाहती है कि मैं प्रधानमंत्री पद की शपथ लूं तो सोनिया ने कहा हरगिज़ नहीं. 'वो तुम्हें भी मार डालेंगे'. राजीव का जवाब था, 'मेरे पास कोई विकल्प नहीं है. मैं वैसे भी मारा जाऊंगा.' (इमेज क्रेडिट- राहुल गांधी का फेसबुक अकाउंट)