इको फ्रेंडली हुआ गणेश चतुर्थी सेलिब्रेशन: पर्यावरण-अनुकूल गणेश मूर्तियों पर एक नज़र
गणपति बप्पा मोरया! गणेश चतुर्थी पूरे देश में बड़े ही हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाई जा रही है. यह फेस्टिवल को भगवान गणेश के जन्म का जश्न के तौर पर मनाया जाता है. पूरे भारत में, लोग अपने घरों या स्थानीय इलाकों में पंडालों में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करते हैं, जिसके बाद भगवान गणेश की स्तुति में मंत्रोच्चार, संगीत,जुलूस और डांस के साथ के उन्हें विदा किया जाता है. पिछले कुछ वर्षों से, इस त्योहार ने पर्यावरण-अनुकूल गणेश मूर्तियां बनाने वाले कलाकारों के लिए नए दरवाजे खोल दिए हैं. देखें कि भारत इस बार इस अवसर को कैसे मना रहा है:
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भुवनेश्वर स्थित मिनिएचर आर्टिस्ट कलाकार, एल ईश्वर राव, जो पिछले 22 वर्षों से क्राफिटंग कर रहे हैं, ने माचिस की तीलियों और ठोस मिट्टी का यूज करके एक पंडाल बनाया है. मिनिएचर पंडाल में 3.5 इंच ऊंची गणेश प्रतिमा और देवी सरस्वती और लक्ष्मी की मूर्तियां हैं, दोनों की ऊंचाई 3 इंच है. कलाकारों ने पिछले कुछ वर्षों में हल्दी के बीजों का उपयोग करके भी छोटी गणेश मूर्तियां बनाई हैं.
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कर्नाटक के मांड्या के स्थानीय लोग एक अनोखी इको-फ्रेंडली भगवान गणेश की मूर्ति लेकर आए हैं. विकासना इंस्टीट्यूट फॉर रूरल एंड अर्बन डेवलपमेंट मांड्या और हलुवाडी गांव के निवासी तम्मैया ने मिलकर गुड़ से बनी 2 फीट ऊंची मूर्तियां बनाईं. कुछ लोग इन मूर्तियों को दूध में विसर्जित करना पसंद कर रहे हैं, जिससे उत्सव की पर्यावरण-जागरूक भावना में और योगदान हो रहा है.
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हैदराबाद में, GHMC कमिशनर रोनाल्ड रोज़ ने मेयर गडवाल विजयलक्ष्मी के साथ बंजारा हिल्स के जलागम वेंगलराव पार्क में सुबह की सैर करने वालों को मिट्टी की गणेश मूर्तियां बांटीं.उन्होंने शनिवार (16 सितंबर) को जीएचएमसी अधिकारियों और कर्मचारियों को भी मूर्तियां वितरित कीं. इको फ्रेंडली गणेश मूर्तियों का वितरण पर्यावरण के अनुकूल तरीके से त्योहार को बढ़ावा देना और प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियों के इस्तेमाल से बचना है. जीएचएमसी, एचएमडीए और पॉल्यूजशन कंट्रोल बोर्ड कुल 4.6 लाख गणेश मूर्तियां वितरित करेंगे.