अगर आप किचन में घूसने से पहले और निकलते समय हाथ साफ करते हैं, किचन की सफाई का पूरा ध्यान रखते हैं, तब भी आपको यह बात चौंका सकती है कि आपके किचन का एक कोना बाथरूम से भी ज्यादा दूषित है।
ब्रिटेन की संस्था नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचसी) के अनुसार, किचन सिंक उन जगहों में से एक है, जहां पर बाथरूम या शौचालय से लगभग 100,000 गुना ज्यादा जीवाणु होते हैं। विज्ञान संस्था एनएसएफ इंटरनेशनल की नई रिपोर्ट में भी इस बात की पुष्टि हुई है। वैज्ञानिकों ने हमारे किचन में सामान्य सतह और उपकरणों का विश्लेषण किया और ई.कोली, सैलमोनेला और लिस्टिरिया मोनोसाइटोजीन्स सहित विभिन्न प्रकार के ऐसे बैक्टीरिया पाए जिनसे भोजन जनित बीमारियां होने का खतरा बहुत ज्यादा होता है।
यह वह जगह...
किचन सिंक में छिपे रहने वाले सबसे खतरनाक प्रकार के बैक्टीरिया में से एक है ई.कोली, जिसके विषाक्त स्ट्रेन्स के कारण गैस्ट्रोइन्टेराइटिस और मूत्रमार्ग का संक्रमण हो सकता है। यह सिंक ई. कोली के लिए एक आदर्श जनन स्थल होता है क्योंकि वह गीला और नमीयुक्त होता है और बैक्टीरिया उस बचे हुए खाने को खा सकते हैं जो डाट की सुराख या सिंक रखे बर्तनों पर बच जाते हैं।
कहां होती है भूल
लोग जो सबसे बड़ी भूल करते हैं वह यह है कि वे इन स्थानों के गंदे होने के बारे में सोचते भी नहीं और उत्पादकों के सफाई निर्देशों का पालन भी नहीं करते। घटिया क्वालिटी की क्रोम प्लेटेड सिंक मानसून के दौरान इन सिंकों और नलों के अंदर और बाहर लगातार जारी क्षरण की सतत प्रक्रिया के कारण सेहत को खतरे में ही डालते हैं। इनके कारण प्रभावी तौर पर तांबे, सीसा आदि जैसे सेहत के लिए बेहद नुकसानदायक धातुएं सीधे तौर पर पानी में मिश्रित हो सकती है। यहां तक कि हमारे फलों और सब्जियों को सिंक के पास धोने से हमारे भोज्य पदार्थ भी आसानी से दूषित हो सकते हैं।
क्या हैं कारण
बाजार में ऐसे घटिया सिंक और नलों की उपस्थिति मुख्य तौर पर भारतीय मानक ब्यूरो या बीआईएस द्वारा बनाए गए अस्थिर उत्पादन विनियमों के कारण हैं क्योंकि कंपनियां आमतौर पर सिंक और नलों के उत्पादन में स्टेनलेस स्टील का प्रयोग करती हैं। किचन की अवरुद्ध सिंक और अवरुद्ध शॉवर के नल भी एक समस्या हो सकते हैं और बैक्टीरिया को विकसित होने और फैलने के लिए स्थान प्रदान कर सकते हैं। इसलिए, सबसे स्वास्थ्यकर किचन सिंक का चुनाव करना एक महत्वपूर्ण निर्णय है।
यह सही समय है कि लोग सिंकों की सफाई को सुनिश्चित करें या फिर उन्हें गंभीर स्वास्थ्य-क्षय का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि भारत में मानसून के दौरान बीमारियों की संख्या बढ़ जाती है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
ब्रिटेन की संस्था नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचसी) के अनुसार, किचन सिंक उन जगहों में से एक है, जहां पर बाथरूम या शौचालय से लगभग 100,000 गुना ज्यादा जीवाणु होते हैं। विज्ञान संस्था एनएसएफ इंटरनेशनल की नई रिपोर्ट में भी इस बात की पुष्टि हुई है। वैज्ञानिकों ने हमारे किचन में सामान्य सतह और उपकरणों का विश्लेषण किया और ई.कोली, सैलमोनेला और लिस्टिरिया मोनोसाइटोजीन्स सहित विभिन्न प्रकार के ऐसे बैक्टीरिया पाए जिनसे भोजन जनित बीमारियां होने का खतरा बहुत ज्यादा होता है।
यह वह जगह...
किचन सिंक में छिपे रहने वाले सबसे खतरनाक प्रकार के बैक्टीरिया में से एक है ई.कोली, जिसके विषाक्त स्ट्रेन्स के कारण गैस्ट्रोइन्टेराइटिस और मूत्रमार्ग का संक्रमण हो सकता है। यह सिंक ई. कोली के लिए एक आदर्श जनन स्थल होता है क्योंकि वह गीला और नमीयुक्त होता है और बैक्टीरिया उस बचे हुए खाने को खा सकते हैं जो डाट की सुराख या सिंक रखे बर्तनों पर बच जाते हैं।
कहां होती है भूल
लोग जो सबसे बड़ी भूल करते हैं वह यह है कि वे इन स्थानों के गंदे होने के बारे में सोचते भी नहीं और उत्पादकों के सफाई निर्देशों का पालन भी नहीं करते। घटिया क्वालिटी की क्रोम प्लेटेड सिंक मानसून के दौरान इन सिंकों और नलों के अंदर और बाहर लगातार जारी क्षरण की सतत प्रक्रिया के कारण सेहत को खतरे में ही डालते हैं। इनके कारण प्रभावी तौर पर तांबे, सीसा आदि जैसे सेहत के लिए बेहद नुकसानदायक धातुएं सीधे तौर पर पानी में मिश्रित हो सकती है। यहां तक कि हमारे फलों और सब्जियों को सिंक के पास धोने से हमारे भोज्य पदार्थ भी आसानी से दूषित हो सकते हैं।
क्या हैं कारण
बाजार में ऐसे घटिया सिंक और नलों की उपस्थिति मुख्य तौर पर भारतीय मानक ब्यूरो या बीआईएस द्वारा बनाए गए अस्थिर उत्पादन विनियमों के कारण हैं क्योंकि कंपनियां आमतौर पर सिंक और नलों के उत्पादन में स्टेनलेस स्टील का प्रयोग करती हैं। किचन की अवरुद्ध सिंक और अवरुद्ध शॉवर के नल भी एक समस्या हो सकते हैं और बैक्टीरिया को विकसित होने और फैलने के लिए स्थान प्रदान कर सकते हैं। इसलिए, सबसे स्वास्थ्यकर किचन सिंक का चुनाव करना एक महत्वपूर्ण निर्णय है।
यह सही समय है कि लोग सिंकों की सफाई को सुनिश्चित करें या फिर उन्हें गंभीर स्वास्थ्य-क्षय का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि भारत में मानसून के दौरान बीमारियों की संख्या बढ़ जाती है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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