सोशल मीडिया आज हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा बन चुका है. चाहे वह देश और दुनिया की कोई खबरो हो या फिर दोस्तों के साथ जुड़े रहना, सब कुछ यहीं से होता है. एक स्टडी की मानें तो लोग 24 घंटे में 4 से लेकर 5 घंटे सोशल मीडिया पर बिताते हैं, वहीं जिन्हें इसकी लत लग जाती है वे 8 से 10 घंटे तक सोशल मीडिया पर बिताते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सोशल मीडिया आपको जागरुक करने के साथ-साथ नेगेटिव भी बना सकता है. जी हां अगर आप दिल से किसी भी पोस्ट को पढ़ते या फिर उस पर रिएक्ट करते हैं तो सोशल मीडिया पर आप आसानी से बहक सकते हैं. लेकिन इन तरीकों से इससे आप खुद को बचा सकते हैं.
खुद पर न होने दें हावी
हम देखते हैं कि किसी भी चीज को व्यक्त करने के लोग कोई न कोई प्लेटफॉर्म ढूंढते हैं. सोशल मीडिया भी ऐसा ही एक प्लेटफॉर्म है. लेकिन कुछ लोग इसे खुद पर हावी कर लेते हैं. उन्हें लगता है कि जो मैं बोल रहा हूं उसे सब लोग पसंद कर रहे हैं. लेकिन बिना तर्क के बात रखना आपकी इमेज के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.
बिना समझे यकीन कर लेना
देखा जाता है कि सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई किसी भी स्टोरी या फिर फोटो को कई बार सच मान लिया जाता है. लोग इस जानकारी के पीछे के सूत्रों को देखे बिना ही इस पर यकीन भी कर लते हैं. लेकिन ध्यान रखें कि सूचना गलत या सही भी हो सकती है. इसीलिए पहले ये समझें कि कहां से यह खबर या फिर सूचना आई है और उसी के बाद उस पर रिएक्शन दें.
नेगेटिव कंटेंट की रखें समझ
आमतौर पर लोगों को नहीं पता होता है कि जिसे वह पढ़ रहे हैं या फिर जोश में आकर शेयर कर रहे हैं वह कंटेंट समाज पर क्या असर डालेगा. ध्यान रहे कि यह कंटेंट आपके कानों के लिए काफी अच्छा हो सकता है, लेकिन सोचें कि क्या यह किसी और के लिए उतना ही बुरा है. इसीलिए नेगेटिव कंटेंट हमेशा नेगेटिव नहीं दिखता है. इसे आपके सामने इस तरह से पेश किया जाता है कि आप भावनाओं में बहकर इसे जमकर शेयर करते हैं. इसकी समझ रखना आपके लिए बेहद जरूरी है.
कहीं आप तो नहीं बन रहे हथियार?
आज सोशल मीडिया का इस्तेमाल जितना खबरों और जानकारियों को फैलाने के लिए किया जा रहा है, उतना ही नफरत फैलाने के लिए भी हो रहा है. लेकिन यह सब सिर्फ इसे बनाने वाले एक या दो लोग नहीं करते हैं, बल्कि हम और आप जैसे हजारों लाखों लोग इसका हिस्सा बन जाते हैं. ये लोग यूजर्स को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करते हैं और अपनी बात को पूरी दुनिया तक फैलाते हैं. लेकिन इसका अंदाजा सोशल मीडिया यूजर्स को नहीं लग पाता है. इसीलिए भावनाओं में न बहकर एक बार दिमाग से सोचने की कोशिश करें.
खुद पर न होने दें हावी
हम देखते हैं कि किसी भी चीज को व्यक्त करने के लोग कोई न कोई प्लेटफॉर्म ढूंढते हैं. सोशल मीडिया भी ऐसा ही एक प्लेटफॉर्म है. लेकिन कुछ लोग इसे खुद पर हावी कर लेते हैं. उन्हें लगता है कि जो मैं बोल रहा हूं उसे सब लोग पसंद कर रहे हैं. लेकिन बिना तर्क के बात रखना आपकी इमेज के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.
बिना समझे यकीन कर लेना
देखा जाता है कि सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई किसी भी स्टोरी या फिर फोटो को कई बार सच मान लिया जाता है. लोग इस जानकारी के पीछे के सूत्रों को देखे बिना ही इस पर यकीन भी कर लते हैं. लेकिन ध्यान रखें कि सूचना गलत या सही भी हो सकती है. इसीलिए पहले ये समझें कि कहां से यह खबर या फिर सूचना आई है और उसी के बाद उस पर रिएक्शन दें.
नेगेटिव कंटेंट की रखें समझ
आमतौर पर लोगों को नहीं पता होता है कि जिसे वह पढ़ रहे हैं या फिर जोश में आकर शेयर कर रहे हैं वह कंटेंट समाज पर क्या असर डालेगा. ध्यान रहे कि यह कंटेंट आपके कानों के लिए काफी अच्छा हो सकता है, लेकिन सोचें कि क्या यह किसी और के लिए उतना ही बुरा है. इसीलिए नेगेटिव कंटेंट हमेशा नेगेटिव नहीं दिखता है. इसे आपके सामने इस तरह से पेश किया जाता है कि आप भावनाओं में बहकर इसे जमकर शेयर करते हैं. इसकी समझ रखना आपके लिए बेहद जरूरी है.
कहीं आप तो नहीं बन रहे हथियार?
आज सोशल मीडिया का इस्तेमाल जितना खबरों और जानकारियों को फैलाने के लिए किया जा रहा है, उतना ही नफरत फैलाने के लिए भी हो रहा है. लेकिन यह सब सिर्फ इसे बनाने वाले एक या दो लोग नहीं करते हैं, बल्कि हम और आप जैसे हजारों लाखों लोग इसका हिस्सा बन जाते हैं. ये लोग यूजर्स को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करते हैं और अपनी बात को पूरी दुनिया तक फैलाते हैं. लेकिन इसका अंदाजा सोशल मीडिया यूजर्स को नहीं लग पाता है. इसीलिए भावनाओं में न बहकर एक बार दिमाग से सोचने की कोशिश करें.
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