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This Article is From Mar 08, 2024

Women's Day स्पीच में इन महिलाओं का जरूर दीजिए उदाहरण, वूमेन इंप्वॉयरमेंट में है अहम योगदान

आप अगर महिला दिवस पर कोई स्पीच तैयार कर रहे हैं स्कूल, कॉलेज या दफ्तर के लिए तो, हम यहां पर उन महिलाओं के नाम बता रहे हैं जिन्होंने महिलाओं की सामाजिक स्थिति को सुधारने के लिए उल्लेखनीय काम किया है.

Women's Day स्पीच में इन महिलाओं का जरूर दीजिए उदाहरण, वूमेन इंप्वॉयरमेंट में है अहम योगदान
कमलादेवी चट्टोपाध्याय का देश की स्वतंत्रता में अहम योगदान रहा है.

Women's Day 2024 Speech : हर साल 8 मार्च को महिला दिवस मनाया जाता है. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक उपलब्धियों को मान्यता देना और लैंगिक समानता के प्रति लोगों को जागरूक करना है. इस दिन कॉर्पोरेट और सरकारी ऑफिस और शैक्षणिक संस्थानों में अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. वहीं, स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगताएं भी आयोजित होती हैं. ऐसे में आप अगर महिला दिवस पर कोई स्पीच तैयार कर रहे हैं स्कूल, कॉलेज या दफ्तर के लिए तो, हम यहां पर उन महिलाओं के नाम बता रहे हैं जिन्होंने महिलाओं की सामाजिक स्थिति को सुधारने के लिए उल्लेखनीय काम किया है. आप उनके नाम को अपनी स्पीच में उदाहरण के तौर पर जोड़ सकते हैं.

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ये रहे नाम

सावित्रीबाई फुले - Savitribai Phule

जब भी महिलाओं की स्थिति को सुधारने की बात आती है तो पहला नाम सावित्रीबाई फुले का जरूर आता है. इन्होंने महिलाओं की शिक्षा के लिए काम किया. सावित्रीबाई फुले ने अज्ञान, शिक्षा के लिए जाग्रत हो जाओ, श्रेष्ठ धन, अंग्रेजी मय्या जैसे लेखों के माध्यम से महिला शिक्षा पर जोर दिया.

आपको बता दें कि सावित्रीबाई फुले की 9 साल की उम्र में शादी कर दी गई थी. लेकिन, उनकी पढ़ाई-लिखाई में रुचि को देखते हुए उनके पति ज्योतिराव फुले ने पूरा साथ दिया. अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद 18 साल की उम्र में सावित्रीबाई ने महिलाओं को पढ़ाना शुरू कर दिया था. उन्होंने 1 जनवरी, 1848 में ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर गुलाम भारत का पहला महिला विद्यालय पुणे में खोला. 

दुर्गाबाई देशमुख - Durgabai Deshmukh

दुर्गाबाई ने बाल विवाह के विरोध में आवाज उठाई. आपको बता दें कि दुर्गाबाई की 8 साल की उम्र में शादी की थी लेकिन उन्होंने 15 साल की उम्र में इसे खत्म कर दिया . इसके बाद उन्होंने साल 1953 में, भारत के तत्कालीन वित्त मंत्री चिंतामन देशमुख से दूसरी शादी कर ली थी. साथ ही दुर्गाबाई ने देवदासी प्रथा का भी विरोध किया.

कमलादेवी चट्टोपाध्याय - Kamaladevi Chattopadhyay

कमलादेवी चट्टोपाध्याय का देश की स्वतंत्रता में अहम योगदान रहा है. कमलादेवी ही थीं जिन्होंने 1942 में अखिल भारतीय महिला सम्मेलन की अध्यक्ष बनकर महिलाओं को मैटरनिटी लीव देने की बात उठाई. 


 

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