Workout karne ke nuksan : : अपनी फिटनेस पर ध्यान देना और वर्कआउट करना अच्छी आदत है. लेकिन कुछ लोगों का एक्सपीरियंस इस बारे में अलग रहता है. उनके मुताबिक वर्कआउट के बाद वो फिट नहीं रहते बल्कि किसी अन्य परेशानी का शिकार हो रहे हैं. क्या आप जानते हैं कि इसकी वजह क्या है. असल में ज्यादा वर्कआउट करने से मसल्स से जुड़ी परेशानी हो सकती है. इस तरह की बीमारी को रैब्डो या रैबडोमायोलिसिस कहा जाता है. ये तकलीफ तब होती है जब ज्यादा वर्कआउट करने की वजह से मसल्स में चोट लग जाती है. क्लीवलैंड क्लीनिक की रिपोर्ट के अनुसार ये एक गंभीर किस्म की चोट होती है.
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क्या है रैब्डोमायोलिसिस?| What Is Rhabdomyolsis And Its Symptoms
क्या है रैब्डो बीमारी?
रैब्डो की तकलीफ होने पर मसल्स में मौजूद नसों में ब्लड जमने लगता है. जिसका असर ब्लड सर्कुलेशन पर पड़ता है. इस बीमारी की गंभीरता ऐसे समझें कि इस वजह से किसी ऑर्गन को नुकसान पहुंच सकता है. इतना ही नहीं दिल का दौरा पड़ने के चांसेस भी होते हैं. कुछ लोग इस तकलीफ के चलते स्थाई तौर पर डिसेबल भी हो सकते हैं. बहुत ज्यादा असर पड़ने पर इस बीमारी से मौत भी हो सकती है.
क्या है रैब्डो के लक्षण?
मसल्स पहले के मुकाबले ज्यादा कमजोर हो जाएं और उन में तेज दर्द महसूस होने लगे तो ये रैब्डो का लक्षण हो सकता है. इसके अलावा अगर यूरिन का रंग बदल जाए, जैसे- यूरिन ब्राउन, रेड या चाय के रंग की तरह दिखे तो भी सचेत हो जाना चाहिए.
कितनी आम है ये तकलीफ?
रैब्डो बीमारी से हर साल करीब 26 हजार लोग पीड़ित होते हैं. ये आंकड़ा क्लीवलैंड क्लीनिक के अनुसार है. महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को ये तकलीफ ज्यादा होती है. इसकी एक बड़ी वजह डिहाइड्रेशन यानी कि शरीर में पानी की कमी भी है. इसलिए वर्कआउट करने वालों को खूब पानी पीने और इलेक्ट्रोलाइट का बैलेंस बनाए रखने की सलाह दी जाती है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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